देश की आधी आबादी स्त्रियों की है, बावजूद इसके स्त्रियों को मात्र सवा तैतीस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को लेकर पिछले कई वर्षों से संसद में राजनीति और जद्दो-जहद दोनों चल रही है। कहा यह भी जा सकता है कि इस पर जद्दो-जहद कम राजनीति ज्यादा हो रही है।
शासन-प्रशासन में स्त्रियों की भागीदारी का कोई तात्कालिक सन्दर्भ इतना ही बन पड़ा है कि कल देर रात आइएएस अधिकारियों की जो तबादला सूची जारी हुई है उसमें बीकानेर में लगाई गई दोनों अधिकारी स्त्रियां हैं। जिला कलक्टर के पद पर बूंदी में इसी पद पर कार्यरत आरती डोगरा को और निदेशक माध्यमिक शिक्षा के पद पर बाड़मेर की जिला कलक्टर डॉ. वीना प्रधान को लगाया गया है। डॉ. प्रधान यहां प्रारम्भिक शिक्षा के निदेशक पद पर थोड़ा समय पहले रही हैं। स्मृति यदि ठीक-ठाक साथ दे रही है तो आरती डोगरा चौथी स्त्री हैं जिन्हें बीकानेर का कलक्टर बनाया गया है– इनसे पहले ओतिमा बोर्डिया, सीमा बहुगुणा और हाल ही के वर्षों में श्रेहा गुहा इस पद पर रह चुकी हैं। एक बात और साझा कर लेते हैं कि आजादी बाद से अब तक बीकानेर में किसी महिला आइपीएस अधिकारी की तैनाती नहीं हुई है। हां आरपीएस अधिकारी के तौर पर सीओ सिटी के पद पर अनुकृति उज्जेनिया ने पिछले वर्ष ही कार्यभार ग्रहण किया है, उम्मीद करते हैं कि बीकानेर में आइपीएस अधिकारी के रूप में किसी स्त्री की तैनाती देर सबेर हो जाएगी।
बीकानेर में मोटामोट सात आइएएस अधिकारी बैठते हैं– सम्भागीय आयुक्त, उपनिवेशन आयुक्त, सिंचित क्षेत्र विकास आयुक्त, निदेशक/आयुक्त माध्यमिक शिक्षा, जिला कलक्टर, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा। बात हमने स्त्रियों के तैतीस प्रतिशत आरक्षण से शुरू की थी उसके हिसाब से बीकानेर के इन सात में से दो पदों पर स्त्री आइएएस की तैनाती के बाद भागीदारी के हिसाब से यह आंकड़ा लगभग अठाईस प्रतिशत बैठता है। यह तो हुई जेंडर इंजीनियरिंग की बात। लेकिन आम शहरी की भाषा में इस शहर के सन्दर्भ में बात करें तो ऐसी बातों से बटता क्या है, बात सही भी है।
शहर में ही एक और बड़े पद पर स्त्री अधिकारी आ रही हैं– मण्डल रेल प्रबन्धक के रूप में मंजु गुप्ता। इस पद पर बीकानेर में किसी स्त्री अधिकारी की यह पहली नियुक्ति है।
बीकानेर में जन सुविधाओं में बढ़ोतरी के मुद्दे पर जिला कलक्टर और मण्डल रेल प्रबन्धक के बीच आपसी समझ और सामंजस्य होना बहुत महत्व रखता है– अब तक देखा गया है कि इन दोनों ही पदों पर आने वाले व्यक्तियों के अहम कहें या हेकड़ी शहर के बहुत से सकारात्मक मुद्दों के आडे आते रहे हैं। शहर को प्यार करने वाली कोई बड़ी आवामी शख्सीयत हो तो इन अफसराइयां को साधने का काम बखूबी कर सकती हैं लेकिन शहर का दुर्भाग्य है कि इस शहर को ऐसे खुले दिमाग का कोई लोक सेवक आज तक नहीं मिला है। उम्मीद करनी चाहिए कि आरती डोगरा और मंजु गुप्ता अपने तईं कुछ करने की इच्छा लेकर आएं और जाने से पहले आपसी सामंजस्य से इस शहर को बहुत कुछ दे जाए।
— दीपचन्द सांखला
28 सितम्बर, 2012