Monday, October 29, 2018

गांधीवादी अन्ना??? (28 नवंबर, 2011)

अन्ना अपने को कहते गांधीवादी हैं लेकिन लगता है उन्होंने गांधी को पूरी तरह जाना-समझा नहीं है। नहीं तो स्वयं अन्ना और उनकी टीम के अहम सदस्य अपने बयानों और अपने भूतकाल की भूलों से बार-बार विवादों में नहीं आते और भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपने आन्दोलन की भद्द नहीं पिटवाते। गांधी तो भाषा तक में हिंसा की इजाजत नहीं देते थे? लेकिन अन्ना की जबान बार-बार हिंसा को पुष्ट और समर्थन करती देखी जा सकती है। कृषिमंत्री पंवार को पड़े थप्पड़ पर उनकी पहली प्रतिक्रिया स्थानीय कहावत में ‘कोठे वाली होंठे’ का एक उदाहरण है। रालेगण सिद्धी के शराबियों पर उनका बयान भी हिंसा का ही समर्थन करता है। सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के जीवन का पूर्ण पारदर्शी होना गांधी जरूरी मानते हैं लेकिन अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी का आये दिन कसौटी पर चढ़ना विश्वसनीयता को भंग करता है।
--दीपचंद सांखला
28 नवंबर, 2011

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