Wednesday, October 31, 2018

जिला कलेक्टर डॉ. पृथ्वीराज (14 दिसंबर, 2011)

आठ दिसंबर को यूआईटी अध्यक्ष पद पर मकसूद अहमद के मनोनयन की खबर आई। उसी दिन से जिला कलक्टर और पदेन यूआईटी अध्यक्ष डॉ. पृथ्वीराज को यह पता था कि एक-दो दिन में ही उन्हें यूआईटी अध्यक्ष का कार्यभार छोड़ना होगा। बावजूद इसके उन्होंने यूआईटी के उन बड़े कार्यों का निरीक्षण किया, जिन्हें उन्होंने शुरू करवाया था। ऐसा करके वे अपनी जिम्मेदारी का ही निर्वहन कर रहे थे। लेकिन यह उल्लेखनीय इसलिए हो गया कि सामान्यतः देखा गया है कि पदभार या कार्यभार छोड़ने की संभावना बनने के बाद अधिकारी शिथिल हो जाते हैं। लेकिन डॉ. पृथ्वीराज ने यह अहसास करवाया कि वे अपने जिम्मे के कार्यों को मात्र खानापूर्ति नहीं मानते हैं, उनके प्रति एक जुड़ाव का अनुभव भी करते हैं।
आठ दिसंबर के उनके उक्त अंतिम निरीक्षण के बाद शहर में यह चर्चा भी हुई कि वे अब क्या करेंगे? इस चर्चा का जवाब कल उन्होंने पीबीएम अस्पताल का औचक निरीक्षण करके दे दिया है। डॉ. पृथ्वीराज एमबीबीएस डॉक्टर हैं इसलिए अस्पताल की व्यवस्था में उनका हस्तक्षेप केवल ब्यूरोक्रेटिक नहीं कहा जा सकता। वे यदि संभाग के इस सबसे बड़े अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने में रुचि लेते हैं तो हो सकता है वह कारगर साबित हो। इसके लिए उन्हें स्वास्थ्य विभाग से ज्यादा खुद मुख्यमंत्री को युक्तियुक्त रूप से समझाना होगा कि न केवल ऐसे अस्पतालों के बल्कि सभी मेडिकल कॉलेजों के सभी प्रकार के खाली पदों को भरा जाना कितना जरूरी है। मुख्यमंत्रीजी को समझना जरूरी है कि आमजन से सीधे संबंध रखने वाले कम से कम दो विभाग स्वास्थ्य और गृह (कानून-व्यवस्था) के खाली पदों को भरना और इन दोनों विभागों की संपूर्ण कार्यप्रणाली को दुरुस्त करना कितना जरूरी है।
--दीपचंद सांखला
14 दिसम्बर, 2011

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