Friday, October 26, 2018

राष्ट्रपति की बीकानेर यात्रा (19 नवंबर, 2011)

राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल अपने दो दिवसीय दौरे पर बीकानेर आईं। दौरा समाप्त कर कल रात लौट भी गईं। राष्ट्रपति के बीकानेर आने का एक प्रयोजन उनके ससुराल पक्ष की ओर से बीकानेर में मायरा भरा जाना था। दीक्षांत समारोह में उनका मुख्य आतिथ्य संयोगवश विश्वविद्यालय को मिल गया। दीक्षांत समारोह भी ऐसा कि न तो गोल्ड मेडल लेने वाले खुश और ना डिग्रियां लेने वाले। खुश तो केवल कुलपति और उनका सचिवालय ही हो सकता है क्योंकि दीक्षांत समारोह उनके कार्यकाल की भविष्य में उपलब्धि माना जायेगा।
दीक्षांत समारोह का मुख्य आकर्षण विद्यार्थियों के लिए यह होता है कि किसी बड़े व्यक्ति के हाथ से उन्हें गोल्ड मेडल पहनाया जाएगा या डिग्रीयां दी जाएंगी। समय और सुरक्षा कारणों के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया। सुरक्षा कारणों के ही चलते विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों तथा अन्य अतिथियों को कई असुविधाओं का सामना करना पड़ा। देश में हो रही आतंकवादी घटनाओं और मरजीवड़ों के हमलों के चलते देश की मुखिया की सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता होना जरूरी भी है। तो फिर करोड़ों रुपये खर्च से होने वाली इस तरह की रस्म अदायगी वाले दीक्षांत समारोह का औचित्य भी क्या है?
दौरे की व्यवस्थाएं
कल रात को जब राष्ट्रपति शादी समारोह में आई-गईं तब गजनेर पैलेस होटल से लेकर करणी भवन पैलेस होटल तक के लगभग 32 किलोमीटर के लम्बे रास्ते को सुरक्षा- सावधानियों के चलते चाक चौबंद किया गया। इस बत्तीस किलोमीटर के रास्ते में कई तिराहे और चौराहे होंगे। इन सभी क्रॉसिंग पर न केवल एकाधिक पुलिस और आरएसी के जवान लगाये गए बल्कि बल्लियां लगा कर रास्ते भी बन्द किये गये। गजनेर रोड वाणिज्य नाके से करणी भवन होटल तक का यह क्षेत्र घनी बसावट में आता है और कल शादियां भी बहुत थीं, इसीलिए आमजन का आवागमन भी रोजाना से बहुत ज्यादा था। राष्ट्रपति के कल रात के इस आवागमन से सभी को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यहां फिर स्पष्ट कर दें कि यह सब लिखने का मंतव्य यह नहीं है कि राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए यह सब नहीं करना चाहिए था।
प्रशासन और राष्ट्रपति की सुरक्षा एजेन्सी थोड़ा विचार करती तो उन्हें होटल लालगढ़ पैलेस में ठहरने का आग्रह करता या गजनेर से गांधी कॉलोनी तक हैलिकॉप्टर से लाया-ले जाया जा सकता था। करणी भवन होटल से एक किलोमीटर से भी कम की दूरी पर शार्दूल क्लब में हैलिपैड है भी। 32 किलोमीटर लम्बे रास्ते की व्यवस्था के पूरे खर्चे को जोड़ें तो राष्ट्रपति का हैलिकॉप्टर से आना-जाना संभवतः सस्ता ही पड़ता और ना भी पड़ता तो भी जनता तो भारी परेशानियों से बचती, क्या प्रशासन भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों में इस तरह के विकल्पों पर भी विचार करेगा?
राष्ट्रपति यदि सरकिट हाउस में ही ठहर जातीं तो फिर कहना ही क्या। पूर्व के राष्ट्रपति अपनी बीकानेर यात्राओं में वहां ठहरते रहे हैं।
--दीपचंद सांखला
19 नवंबर, 2011

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