Saturday, October 27, 2018

सूरसागर में म्यूजिकल फाउंटेन (21 नवंबर, 2011)

पचास लाख रुपये की लागत से सूरसागर में म्यूजिकल फव्वारा लगाया जाएगा। कुछ वर्ष पहले पब्लिक पार्क में डूंगरसिंह मूर्ति के निकट भी एक म्यूजिकल फव्वारा लगाया गया था। उसमें भी लाखों रुपये खर्च हुए थे। कुछ महीने ही चल पाया। अब उस पूरे फव्वारे का सिस्टम धूल फांक रहा है। सूरसागर में सीवर का पानी लगातार रिस रहा है। ऐसी किसी सूचना की घोषणा नहीं हुई है कि उस रिसते गंदे पानी का कोई पुख्ता इंतजाम किया जा रहा है। यह बात तो दूर की है कि उस सीवर के निर्माण में लगे इंजीनियर और ठेकेदार की कोई जिम्मेदारी तय की गई हो। सूरसागर को आनन्ददायक स्थल बनाने के प्रयास पिछले चार वर्ष से किये जा रहे हैं। लेकिन प्रशासन इसमें लगातार असफल रहा है। रिसते सीवर के पानी की बदबू में नौकायन करते म्यूजिकल फव्वारे का आनन्द ले सकेंगे स्थानीय लोग?
लाखों-करोड़ों रुपये की योजनाएं बनती हैं। कई प्रकार के स्वार्थों के चलते उनका निर्माण भी हो जाता है। लेकिन उनको चालू रखने में शायद कोई स्वार्थ सिद्ध नहीं होते होंगे जो बंद हो जाती हैं। टॉय ट्रेन भी इसका उदाहरण है। प्रशासन ने इसका दो बार उद्घाटन करवाया फिर भी बंद पड़ी है। थोड़े दिनों में खबर आयेगी कि पटरिया गायब हो रही हैं, डिब्बों का सामान चोरी हो गया। इंजन का जेनरेटर किसी के घर को रोशन कर रहा है। जूनागढ़ के सामने स्थित क्रॉफ्ट बाजार का हाल भी ऐसा ही होता लगता है। प्रशासन ने क्रॉफ्ट बाजार का भी उद्घाटन दो बार करवाया है।
--दीपचंद सांखला
21 नवंबर, 2011

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