खबर है कि देश की मुखिया प्रतिभा देवीसिंह पाटील अपने आगामी बीकानेर प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में ना रुक कर होटल गजनेर पैलेस में रुकेंगी। 2008 में भी जब वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं तब स्वाधीनता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह बीकानेर में रखा गया। वसुंधरा राजे को दो से ज्यादा रातें बीकानेर में बितानी थीं। उन्होंने भी सर्किट हाउस की बजाय होटल लालगढ़ पैलेस में रुकना पसन्द किया। बीकानेर संभागीय मुख्यालय है, इसी के मद्देनजर बीकानेर के सर्किट हाउस में वो सब न्यूनतम जरूरतें और सुरक्षा उपाय होंगे ही जिनकी राष्ट्रपति तक के प्रवास के समय जरूरत होती हैं। यदि नहीं है तो यह गंभीर मामला है, और यदि है तो फिर 2008 में वसुंधरा राजे को और नवम्बर 2011 में प्रतिभा देेवीसिंह पाटील को महंगे होटलों में ठहरना क्या विलासिता में नहीं आता है? प्रतिभा देवीसिंह पाटील उस गेलैक्सी से है जिसकी शुरुआत डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले से मानी जाती है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने तब भी केवल इस बिना पर रायसीना रोड के तब के वाइसराय हाउस (आज के राष्ट्रपति भवन) में जाना लगभग अनिच्छा से स्वीकार किया था कि दूसरे देशों के मुखिया जब आयेंगे तो उनका स्वागत आदि अन्य औपचारिकताएं राष्ट्रपति निवास में ही की जानी है।
हमारे देश में जब आज भी लगभग आधी आबादी को भरपेट खाना, तन को ढकने भर को न्यूनतम कपड़े और रहने को घास-फूस तक की छत उपलब्ध नहीं है, ऐसे में इस तरह के प्रवास न केवल विलासिता हैं बल्कि फिजूलखर्ची भी है।
--दीपचंद सांखला
16 नवंबर, 2011
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