Friday, April 21, 2017

सूरसागर एक-दो-तीन...... (21 सितम्बर, 2011)

खबर है कि गंगाशहर-सुजानदेसर मार्ग पर गंदे पानी के नाले में एक मानव शव देखा गया है। यह नाला सिवर के पानी को वहां स्थित चांदमल के बाग में बने अनधिकृत तालाब तक ले जाता है। कल देर शाम पुलिस भी पहुंच चुकी थी्रलेकिन अंधेरा होने के कारण सुबह ही शव को निकालने और अन्य औपचारिकताएं पूरी करना तय किया गया।
पीने का पानी घरों तक बिना किसी असुविधा के पहुंचने लगा तो उसके प्रति बरताव में लापरवाह होकर पूरे दिन बे-हिसाब उसे गिराये जाते हैं। जिसके कारण आये दिन हो रही समस्याएं कोई कोई परेशानी का कारण बनती है। जूनागढ़ किले के सामने स्थित सूरसागर कभी साफ पानी की झील हुआ करता था। पानी की बेकद्री ने उसे वर्षों तक गंदे पानी का तालाब बनाये रखा। उस दौरान इसमें भी एक से अधिक बार मानव शव मिलने की घटनाएं हुईं। ऐसे नालों में पशुओं के शव मिलने की घटनाएं तो आम हैं जो अनेक बीमारियों का कारण भी बनती हैं। अब किसी तरह करोड़ों रुपये की लागत से सूरसागर को सुधरवाया गया तो खुद वो भी पानी की बेकद्री की मिसाल बन गया है। पिछले तीन वर्षों में चौबीसों घंटे पांच गोमुखों द्वारा अब तक कितने क्यूसैक पानी उसमें डाल दिया गया है, पता नहीं। उसका भरना तो दूर अब तक पांच फुट पानी का भराव भी नहीं हो पाया है। झील भरेगी तभी तो सुदर्शना होगी? ....और करोड़ों रुपये लगाये ही इसीलिए कि यह स्थल रमणीय रूप में विकसित हो सके। इस थार रेगिस्तान में यह विलासिता नहीं तो और फिर क्या है? जहां कभी पानी का मोल घी से भी ज्यादा माना जाता था। झीलें-तालाब तो हमारे यहां वर्षाजल से ही भरे-पूरे होते आये हैं।
गंगाशहर रोड स्थित जैन स्कूल के पीछे एक पुरानी बजरी की खान भी अब गंदे पानी के तालाब का रूप लेने लगी है, पशुओं के शव तो इसमें भी देखे गये हैं। सड़ांध मारता यह पोखर भी अव्यवस्था और स्वास्थ्य से संबंंधित समस्याओं का पिटारा ही साबित होता लगता है। प्रशासन, न्यास और निगम इस तरह की समस्याओं पर पता नहीं क्यों समय रहते नहीं चेतते। चेतते तब हैं जब कोई समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है।

वर्ष 1 अंक 28, बुधवार, 21 सितम्बर, 2011

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