Friday, April 14, 2017

भूल, लापरवाही और बदनीयति (15 सितम्बर, 2011)

भूल, लापरवाही और नियतन्रये तीन शब्द सरकारी और सार्वजनिक दफ्तर में काम करने वालों के लिए आजकल सामान्यतः कोई चिंता या परेशानी का कारण नहीं बनते हैं।
भूल को एक हद तक नजरअंदाज किया जा सकता है, एक हद तक इसलिए कि भूल होना भी एक तरह से आपका मन ही तय करता है कि किस मुद्दे पर आप कितने गम्भीर हैं। देखा गया है कि जहां व्यक्ति का स्वार्थ होता है वहां भूल भी होने की सम्भावना कम से कम रहती है। यानी व्यक्ति अपनी उपचेतना में जिसके प्रति लापरवाह होता है वहीं भूल होती है।
दूसरा शब्द है लापरवाही। वैसे भूल और लापरवाही में केवल मात्रा का ही फर्क है। यानी भूल चेतना की उपअवस्था में लापरवाही घटित होने का परिणाम है और लापरवाही पूर्ण चेतना में की गई करतूत, जो अक्षम्य है।
तीसरा शब्द है नियतन्रमनुष्य चेतना की यह सबसे मैली अवस्था है। इसमें व्यक्ति अपने छोटे-बड़े स्वार्थों के चलते नियतन किसी जायज काम को भी इसलिए नहीं करता है ताकि जिसका काम है, वह उसे कुछ प्रलोभन देने को मजबूर हो।
भूल, लापरवाही और बदनीयति के चलते जो अनहोनियां घटती हैं उसकी पीड़ा व्यक्ति खुद के साथ वैसा घटित हुए बिना महसूस नहीं कर सकता है। तभी मंगलवार को तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में हुए रेल हादसे और कल बुधवार को भरतपुर के गोपालगढ़ में घटित हुई जैसी हिंसा, होती है।
रेल हादसे में दस के मरने और सौ से अधिक के घायल होेने का समाचार है। मरने वालों के आश्रित और नजदीकी पारिवारिक सदस्यों को और घायलों में कुछ को ताउम्र की अक्षमता और पीड़ा भोगनी होगी।
जिनकी लापरवाही से यह हादसा हुआ, क्या वे केवल मानसिक तौर पर ही उन भुक्त-भोगियों की मन की स्थितियों से गुजरने की हिम्मत जुटा पायेंगे।
भरतपुर के गोपालगढ़ में कल कितने मरे इसे लेकर केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राज्य सरकार भी अभी तक चुंधियायी हुई है। मरने वालों की संख्या तीन-छः और नौ के बीच अभी भी उलझी है। कामना करते हैं कि यह कम से कम ही हो।
कहते हैं लापरवाही के चलते जमीन का एक टुकड़ा सरकारी रिकार्ड में गलत चढ़ गया। गोपालगढ़ की कल की हिंसा का मूल कारण तो फिलहाल यही बताया जा रहा है। इस बीज को गलत हक बयानी और अहम् से सींचने से जो घटित हुआ वह दो समुदायों की कई पीढ़ियों का चैन छीनने का कारण बन सकता है। क्या भूखण्ड के गलत इन्द्राज की यह लापरवाही क्षमा योग्य है? लापरवाही करने वाला संवेदनशील हुआ तो क्या आजीवन वो अपने को क्षमा कर पायेगा! उस पर सरकार कोई कार्यवाही ना करे तब भी!

                                     वर्ष 1 अंक 23, गुरूवार, 15 सितम्बर, 2011



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