Thursday, February 28, 2013

बीकानेर को अशोक गहलोत जैसे जनप्रतिनिधि की जरूरत!


न्यायालय में लम्बित एक प्रकरण इन दिनों खबरों में है। स्टेशन रोड स्थित मटकागली के रेलवे स्टेशन मुहाने को रेलवे ने कुछ वर्ष पूर्व बन्द कर दिया था, इसे खुलवाने का मामला कोर्ट में लम्बित है। दरअसल जनहित के ये ऐसे मामले हैं जिन्हें जनप्रतिनिधियों को सम्बन्धित प्रशासनिक अधिकारियों से मिल कर हल करवा लिया जाना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से बीकानेर को आज तक एक भी जनप्रतिनिधि ऐसा नहीं मिला जो शहर को प्यार करता हो या इस शहर की बढ़ती जरूरतों से सम्बन्धित कोई दृष्टि रखता हो। हर नेता की दृष्टि अपने तक या अपनों तक ही सीमित है।
बीकानेर के रेलवे स्टेशन पर आगे आने वाले समय में भीड़-भड़ाका लगातार बढ़ना है, चौबीसों घण्टे रेलगाड़ियों का आवागमन तो अभी से ही रहने लगा है। अगले दो-तीन वर्षों में जब मेड़तासिटी-पुष्कर और कोटा-अजमेर की रेल लाइने डालने का काम पूरा हो जायेगा तो कश्मीर और पंजाब से दक्षिण के लिए शुरू होने वाली कई नई गाड़ियों को बीकानेर से होकर गुजारा जा सकता है। क्योंकि इन रेलगाड़ियों को दिल्ली और उसके आस-पास के स्टेशनों से गुजारने की गुंजाइश अब लगभग समाप्ति पर है। कश्मीर के श्रीनगर रेलवे की परियोजना पूरी होते ही इस तरह की कई नई गाड़ियों की सम्भावना बनती है। और सूरतगढ़, श्रीगंगानगर-बठिण्डा के रेल दोहरीकरण को देर सबेर बीकानेर-मेड़ता रोड तक बढ़ाया जाना है, जो जिप्सम-कोयला ढुलाई के साथ-साथ सेना की भी जरूरत बनती जा रही है! इसलिए बीकानेर स्टेशन को उसी हिसाब से देखा-तैयार किया जाना जरूरी है।
बीकानेर स्टेशन के मुख्यद्वार पर स्थित सानिवि का डाक बंगला, जिला जनसम्पर्क अधिकारी कार्यालय और सूचना केन्द्र को सिविल लाइन्स स्थित सामन्ती काल में बनी लम्बी चौड़ी दो-दो कोठियों के बीच की जगहों में भवन बनाकर शिफ्ट किया जा सकता है और जहां वर्तमान में सूचना केन्द्र और जनसम्पर्क अधिकारी का कार्यालय है वहां कोटगेट थाने को शिफ्ट किया जा सकता है। डाक बंगले की कुछ भूमि रानीबाजार रोड के समान्तर रोड को विकसित करने में ली जा रही है, जो उचित है। डाक बंगले के शेष मुहाने को भी सड़क में शामिल कर सड़कों को चौड़ा किया जाना चाहिए। कोटगेट थाने की जमीन स्टेशन पार्किंग में उपयोग की जा सकती है और स्टेशन और उसकी पार्किंग का एक निकास-द्वार मटका गली की ओर निकाला जाना चाहिए। कोटगेट थाने के आगे बनी दुकानों के ऊपर के अवैध निर्माणों को हटाना चाहिए।
रेलवे स्टेशन का एक नम्बर प्लेटफार्म कोटगेट थाने के पीछे स्थित शिवमन्दिर के चलते काफी संकुचित हो जाता है। मन्दिर के पास ही स्थित मोहता प्याऊ को एक्वायर कर शिव मन्दिर के गर्भगृह को वहां शिफ्ट किया जा सकता है। मन्दिर के बाद स्थित पुराने ट्रेजरी भवन की जगह नया पार्सल कार्यालय बनाया जा सकता है या फिर उस जगह को आम जरूरत के काम लेकर पार्सल कार्यालय को द्वितीय-द्वार की ओर शिफ्ट किया जा सकता है। स्टेशन के द्वितीय द्वार के विकास के सम्बन्ध में विनायक अपनी राय पहले दे चुका है।
इस तरह के बदलावों के लिए बीकानेर को अशोक गहलोत जैसे जनप्रतिनिधि की जरूरत है क्योंकि कई विभागों के उलझाड़ को सुलझाने के लिए खुद का सुलझे होना जरूरी है, क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी फिर वे चाहे रेलवे के हों या सामान्य प्रशासन के, अधिकांशआये-गयेकी मानसिकता में होते हैं।
28 फरवरी 2013

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