Saturday, November 24, 2018

बीकानेर : शहरी यातायात की बात (9 फरवरी, 2012)

अपने बीकानेर शहर के यातायात को लेकर कोई गंभीर नहीं है। बड़े-छोटे सभी राजनेता इतने आत्मविश्वासहीन लगते हैं कि एक दुपहिया वाहक बिना हेलमेट पकड़ा जाये और उसके पास किसी नेता का फोन नं. है तो वह सीधे ही उसे डॉयल करता है। हर पल वोट जुगाड़ु मानसिकता में रहने वाले ये नेता उसकी सुनते भी हैं और अपनी हैसियत के अनुसार हेकड़ी या निवेदन की भाषा में पुलिसवाले को कह कर एक वोट बन जाने की खुशफहमी में इजाफा भी कर लेते हैं।
इसी प्रकार व्यापारिक संगठनों के ये कर्णधार सिवाय व्यापारिक हितों के--उसमें भी उन छोटे-छोटे मुखर समूहों के हितों की बात बिना यह विचारे करते हैं कि उनके उस कदम से सीमित हित भी सचमुच सधेंगे या नहीं। वैसे आजकल छोटे व्यापारिक संघों से लेकर व्यापार उद्योग मण्डल तक सभी अहम के अखाड़े बने हुए हैं।
हम टीवी अखबार वाले भी ज्यादातर उपरोक्तों की बात पहुंचाने का ही काम कर पाते हैं। रही बात पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की तो उनमें से ज्यादातर समय निकालु--यथास्थितिवादी ही आते हैं, यदि कोई नया आया कुछ उत्साह दिखाता भी है तो जनता के नुमाइंदों के टेलीफोनिक निर्देशों और ऊपर तक से आये मौखिक आदेशों को सुन वह चक्करघिन्नी हो जाता है। ऐसे में वह अधिकारी अपनी अगली पोस्टिंग तक सामान्य ड्यूटियां में ही समय निकालना उचित समझने लगता है।
महात्मा गांधी रोड, स्टेशन रोड के यातायात को सुचारू करने की एक कवायद कल घोषित होने से पहले एक पार्षद का विरोध मुखर हो गया। वैसे सादुल सर्किल से राजीव मार्ग तक की जो नयी यातायात व्यवस्था प्रशासन ने दी है, उसे न तो व्यावहारिक कहा जा सकता है और ना ही पार्षद के उस विरोध को जायज। सादुल सर्किल से रेलवे स्टेशन और कोटगेट के अंदर की ओर जाने वाले तिपहिया-चौपहिया वाहनों के लिए जो रास्ता तय किया है, उसके अनुसार यह वाहन पब्लिक पार्क में विश्नोई धर्मशाला के आगे से होते हुए--तुलसी सर्किल, मॉडर्न मार्केट, राजीव चौक, पुरानी मालगोदाम रोड, कोयला गली, सांखला फाटक, मटका गली होते हुए गोल कटला से रेलवे स्टेशन और राजीव मार्ग की ओर जायेंगे।
पब्लिक पार्क में वैसे भी यातायात का दबाव ज्यादा है और उसके मुख्यद्वार पर तो हमेशा बाधाओं के साथ ही ट्रैफिक गुजरता है, होना यह चाहिए था कि पब्लिक पार्क को तो कम से कम प्रदूषित यातायात से मुक्त रखा जाता। जब वकीलों की गली का विकल्प उपलब्ध है तो पब्लिक पार्क से ट्रैफिक गुजारना उचित नहीं जान पड़ता। पुरानी मालगोदाम रोड और कोयला गली जैसी ही चौड़ाई वकीलों की गली की भी है। उस मटका गली की चौड़ाई भी इन जितनी ही है जिसका विरोध एक पार्षद ने कल किया। ऐसे विरोध बढ़ते शहरी यातायात के लिए बेमानी हैं।
सांखला फाटक को कोयला गली स्थित तुलसी प्याऊ तक डबल बेरियर लगा कर रेलवे बढ़ा दे तो कोयला गली का ट्रैफिक स्टेशन रोड के ट्रैफिक को बिना बाधित किये मटका गली की ओर जा सकता है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को साझा प्रयास करने होंगे। ऐसा करवाना असंभव नहीं है। कोटगेट के अन्दर-बाहर और तोलियासर भैरूं मंदिर के आस-पास के इलाकों को पार्किंग और टैक्सी स्टैण्ड से पूर्णतया मुक्त करना भी जरूरी है, इसके लिए आमजन के व्यापक हित में टैक्सी यूनियनों को पहल करनी चाहिए।
इस शहर के बारे में सोचने-विचारने का दावा करने वाले सभी से गुजारिश है कि रेल बायपास के लॉलीपोप को वो अब फेंक दें और पूर्व में बनी योजना के अनुसार सादुल सर्किल से राजीव मार्ग तक के एलिवेटेड रोड के साझा प्रयास पुनः और गंभीरता से शुरू करें। रेल फाटक, ट्रैफिक और प्रदूषण इन तीनों समस्याओं का समाधान इसी में है। अपने शहर के बहुत से लोग लुधियाना जाते रहते हैं, वहां भी ऐतिहासिक ग्रांड ट्रंक रोड शहर के बीच में आ गई थी, उसका समाधान भी उस जीटी रोड पर एलिवेटेड रोड बनाकर ही किया गया है। रही शहर से गुजरने वाली रेलवे लाइन की बात तो जब दिल्ली, गुवाहाटी जैसे शहरों में ही रेल लाइनें पुराने शहर के बीच से ही गुजरती हैं तो इसे हम बीकानेरी अपनी नाक का बाल क्यों बनाये बैठे हैं?
-- दीपचंद सांखला
9 फरवरी, 2012

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