Tuesday, November 20, 2018

जनरल वीके सिंह : बात आत्महित की या आत्मसम्मान की (17 जनवरी, 2012)

जन्म दिनांक के मामले में भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं। उन्हें शिकायत है कि उनकी उसी जन्म दिनांक को स्वीकार किया जाय जो दसवीं के सर्टिफिकेट में दर्ज है। उनके बयान के अनुसार वे ऐसा निष्ठा और आत्म-सम्मान के लिए कर रहे हैं। फैसला यदि उनके पक्ष में होता है तो उन्हें इस वर्ष 31 मई को सेवानिवृत्त नहीं होना पड़ेगा। हालांकि उन्होंने अब तक के सभी पदलाभ 10 मई 1950 की जन्म तारीख से हासिल किये हैं! लेकिन सेवानिवृत्ति वे 10वीं सर्टिफिकेट में दर्ज जन्म तारीख 10 मई, 1951 के आधार पर चाहते हैं।
इस प्रकरण में पहली गंभीर बात तो यही है कि सेना प्रमुख से जुड़े इस मामले में किच-किच हो रही है, दूसरी यह कि अपने इस देश में प्रार्थी के 10वीं पढ़े होने की स्थिति में जब जन्म दिनांक संबंधी सभी वैधानिक औपचारिकताओं में उसके 10वीं के सर्टिफिकेट में दर्ज जन्म तारीख को प्रामाणिक माना जाता है तो जनरल वीके सिंह के मामले में यह असावधानी क्यों हुई? इस तरह की असावधानी की जानकारी यदि उन्हें सेवाकाल के शुरुआत में ही हो गई थी तो इसे तभी सुधरवा लेना चाहिए था। तो क्या वो अब तक इसलिए चुप रहे कि उन्हें सेवा के सभी लाभ जल्दी-जल्दी मिलते रहें। यह भी हो सकता है कि उनको इसकी जानकारी अब हुई हो--यदि ऐसा है तो अंग्रेजी कहावत के अनुसार वे सज्जन की तरह आये तो सज्जन की ही तरह विदा हो लेते। क्योंकि वे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की सेना के मुखिया जो हैं जिसमें 13 लाख जवान सेवाएं दे रहे हैं। बाकी देशों का तो पता नहीं अपने देश में अब तक सामान्यतः यही देखा गया है कि निम्न आय वर्ग या कम शिक्षित परिवारों में जन्म की तारीखों को दर्ज करने या जरूरत होने पर प्रामाणिक तारीखों को दर्ज करने की सावधानी नहीं बरती जाती रही है। इसी के चलते अब तक हुए और अब हो रहे सेवानिवृत्त नागरिकों में से कइयों की जन्म तारीखों में ऐसी गफलत देखी गई है। सुप्रीम कोर्ट यदि अपनी राय जनरल वीके सिंह के पक्ष में देता है तो उसे ऐसी ही हजारों याचिकाओं का सामना करना पड़ सकता है।
-- दीपचंद सांखला
17 जनवरी, 2012

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