Tuesday, November 20, 2018

रंज बहुत है नेता को मगर आराम के साथ (11 जनवरी, 2012)

अमीरों या विलासिता से जीवन यापन करने वालों और गरीबों के बीच ज्यों-ज्यों खाई चौड़ी होती जा रही है त्यों-त्यों गरीबों के प्रति चिन्ताएं भी बढ़ती जा रही हैं। अभी कल ही सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने अखबारों में छपे एक फोटो का संज्ञान लेते हुए यह कहा कि जब वे गरीबों को बिना छत के सोता देखते हैं तो उनका दिल भर आता है। इस तरह के वक्तव्यों से ही न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की घुसपैठ की खबरों के बावजूद न्याय-व्यवस्था में देश का भरोसा बना हुआ है। लेकिन अकबर इलाहाबादी नेताओं और व्यवस्था के लिए जो कह गये हैं उस पर भी गौर करना जरूरी है--
कौम के खातिर लेते हैं डिनर हुक्काम के साथ
रंज बहुत है नेता को मगर आराम के साथ।
-- दीपचंद सांखला
11 जनवरी, 2012

No comments: