Friday, November 23, 2012

मेगा हाइवे के हादसे, टोल और चिकित्सा सेवाएं


इसी बुधवार को आधी रात के बाद बीकानेर सम्भाग की सरदारशहर तहसील में ट्रक और बस की आमने-सामने की टक्कर से सड़क हादसा हुआ जिसमें 14 जनों की मृत्यु हो गई और 39 घायल हो गये। यानी टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रक में सवार तीनों और बस में सवार लगभग सभी प्रभावित हुए। सूचना है कि टक्कर के समय बस को खलासी चला रहा था, अचानक आई सड़क की गोलाई और तेज गति के कारण खलासी बस को सम्हाल नहीं पाया।
कहने को सड़क हादसे दुनिया के उन देशों में भी होते हैं जहां की सड़कों पर सुरक्षा के लगभग सभी उपायों को पूरी मुस्तैदी के साथ लागू किया और अपनाया जाता है। सड़कों पर वाहन दौड़ाने के लिए गति अनुकूल लाइनें तय हैं, चौकसी के लिए जगह-जगह सेन्सर, कैमरे भी लगे होते हैं। किसी ने थोड़ी भी लापरवाही की तो उसे अगले पॉइन्ट पर रोक लिया जाता है। वहां की सड़कों पर ऐसी व्यवस्था होती है कि कोई पैदल व्यक्ति या जानवर सड़क पर नहीं सकता। बावजूद इन सबके हादसे वहां भी होते हैं। लेकिन इसके यह मानी कतई नहीं है कि इन हादसे को सही ठहराया जा रहा है। भारत की तरह यदि पूरी पात्रता रखे बिना या पूरा प्रशिक्षण नहीं लेने वाले हर किसी को उन देशों में लाइसेंस जारी कर दिए जाएं तो कल्पना भयानक होगी। वहां के वाहनों की सामान्य गति भारतीय वाहनों की सामान्य गति से लगभग दुगुनी होती है। हमारे यहां दुनिया के आधुनिकतम वाहन आने और दौड़ने लगे हैं-सड़कें भी लगभग वैसी ही बनने और मैन्टेन की जाने लगी है लेकिन स्टेयरिंग पर बैठने वाले के प्रति इन वाहनों के सवार से लेकर सरकार तक सभी लापरवाह और गैर जिम्मेदार हैं। लगभग सभी हादसे चालक की लापरवाही से घटित होते हैं। सड़क हादसों में मौतों के मामले में हमारा देश उन देशों में शामिल हैं जहां इस तरह की मौतों की सर्वाधिक संख्या दर्ज की जाती है।
यह तो हुई हादसों की बात। लगे हाथ हमें आपात चिकित्सा व्यवस्था की चर्चा भी कर लेनी चाहिए। उल्लेखित दुर्घटना हनुमानगढ़-किशनगढ़ मेगा हाइवे पर हुई है। लगभग 400 किलोमीटर लम्बे इस मेगा हाइवे के आस-पास जीवनरक्षक उपकरणों और सुविधाओं से युक्त आपात चिकित्सा केन्द्र कहीं भी नहीं है। एक बिन्दु पर अजमेर का अस्पताल जरूर निकटतम माना जा सकता है। चार सौ किमी लम्बे इस हाई स्पीड मार्ग पर बड़ा हादसा हो जाने की स्थिति में अजमेर के अलावा कहीं भी नजदीकी आपात् चिकित्सा सेवा के लिए कोई केन्द्र नहीं है। इसीलिए कल तड़के से पहले हुए इस हादसे के घायलों को बीकानेर लाया गया। बीकानेर हादसा स्थल से सवा सौ किमी से भी ज्यादा दूरी पर है। इस दूरी को तय करने में किसी भी एंबुलेंस या उपयुक्त वाहन को दो घंटे से कम नहीं लगेंगे। इस तरह की परिस्थितियों में कितनों की जान बचाना सम्भव होगा।
सरकार को चाहिए कि टोल उगाई के अनुबन्ध में यह शर्त भी शामिल करे कि कम से कम प्रत्येक 100 किलोमीटर पर एक आधुनिक ट्रोमा सेन्टर की सेवाएं चौबीसों घंटे उपलब्ध करवानी होगी। जो टोल दरें वसूली जा रही हैं उनमें इस तरह की सुविधाएं देना मुश्किल नहीं है।
23 नवम्बर, 2012

No comments: