Tuesday, November 27, 2012

कब चेतेंगे हम!


रेल फाटकों की समस्या पर कल बात की थी। एलिवेटेड रोड, बाईपास के बहाने पहले भी कई बार कर चुके हैं, और भी करते रहेंगे। आजादी के बाद राजस्थान के गठन के समय इस भू-भाग के छोटे-छोटे राज्यों का राजस्थान में विलय हुआ था, अजमेर-ब्यावर जैसों को छोड़ दें तो इन में से अधिकांश राज्यों में राजशाही थी। विलय के समय बीकानेर प्रमुख राज्यों में था, सच है या बाकाडाक, पर लोक में यह भी प्रचलित है कि विलय के समय राजस्थान के इन सभी राज्यों में भारत सरकार को बीकानेर ने सर्वाधिक नकद राशि दी थी।
इन साठ वर्षों में विकास के मामलों में जयपुर तो जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा बीकानेर से काफी आगे निकल गये, सचिन पायलेट जैसा जनप्रतिनिधि फिर से यदि अपना क्षेत्र नहीं बदलता है तो अजमेर भी विकास की लम्बी बढ़त बनाये बिना नहीं रहेगा। जयपुर तो प्रदेश की राजधानी है, विकास के पंख लगते ही। उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया लम्बे समय तक सूबे के मुखिया रहे तो जोधपुर को जयनारायण व्यास, मथुरादास माथुर और पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से अपने क्षेत्र से बेहद लगाव रखने वाले अशोक गहलोत जैसे नेता मिले तो कोटा में पहले रिखबचन्द धारीवाल और अब उनके चतुर पुत्र शान्ति धारीवाल लगातार विकास को ले तत्पर हैं।
आप कहेंगे कि दूसरों की बिरदावली क्यों गाने लगे हो तो सफाई यह कि हमारे इस राग में रोना है। जैसा कि पहले भी इस कॉलम में लिखा था कि इस बीकानेर को आजादी बाद से एक भी जन प्रतिनिधि ऐसा नहीं मिला जो अपने शहर से लगाव रखता हो, इसके विकास के सपने देखता हो। इसको मिले सभी नेता तीसों दिन या तो यह गोटियां फिट करने में लगे रहते हैं कि अगला चुनाव जीत कैसे जीत सकते हैं या फिर अपना घर भरने में। विकास के फार्मूले पर भरोसा क्यों नहीं है इनको। विकास के नाम पर अब तक यहां कुछ हुआ भी है तो क्या सम्भागीय और जिला मुख्यालय रहते इतना भर भी नहीं होता। धक्के से हुए ऐसे कामों को चुनाव के समय ये नेता अपने किये कामों की फेहरिस्त में जोड़े बिना नहीं चूकते। पिछले एक अरसे से तो नकारात्मक राजनीति और शुरू हो गयी है, मास्टर प्लान के अनुसार रिंग रोड के लिए बाइपास बनना है तो देवीसिंह भाटी गोचर के नाम पर फाडी डालते हैं तो रेल फाटकों की समस्या के समाधान के लिए बीकानेर के भगीरथ बने बी.डी. कल्ला, रामकृष्णदास गुप्ता की दी बाइपास की बीटणी चूसने लगते हैं।
अगले चुनाव की वैतरणी पार करने को कल्ला को लगा होगा कि कोटगेट फाटक का अण्डरब्रिज कपिला का काम करेगा तो हाजी मकसूद फट से केवल योजना बना लाये बल्कि मॉडल की शहर परिक्रमा भी करवाने लगे। कुछ व्यापारियों को लगा होगा कि इस अण्डरब्रिज से उनके हितों का नुकसान होगा, विरोध करने, जनार्दन कल्ला के पास पहुंचे तो बी.डी. कल्ला का आरयूबी राग बेसुरा होकर बाइपास गाने लगा। विरोध करने वाले यह व्यापारी वही हैं जिन्होंने पांच साल पहले एलिवेटेड रोड का विरोध किया था, बिना यह समझे कि इस एलिवेटेड रोड से उनके व्यापार और शहर दोनों को फायदा होने वाला है। वैसे भी यह सामान्य कायदा है कि जिस योजना से अधिकांश को लाभ होता है तो प्रकारान्तर से लगभग सभी उससे लाभान्वित होते हैं।
शहर का विकास कैसे हो सकता है, बीकानेर वालों को यह जोधपुर वालों से सीखना चाहिए। विकास के नाम पर राजनीति करने वालों को जोधपुर के मतदाता बक्शते नहीं है। इसीलिए वहां के कांग्रेसी हों या भाजपाई, विरोध की राजनीति को विकास से अलग रखते हैं।
27 नवम्बर, 2012

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