एक खबर पाकिस्तान की स्वात घाटी क्षेत्र की चौदह वर्षीया किशोरी मलाला के हवाले से है-जो तालिबानियों के फतवे के खिलाफ जाकर न केवल खुद पढ़ना चाहती है बल्कि वह अन्य लड़कियों को भी पढ़ने और पढ़ाए जाने की पुरजोर और खुले तौर पर हिमायत भी करती है-उसकी यह हिमायत उन तालिबानियों को हिमाकत लगी जिन्होंने यह फतवा जारी कर रखा है कि लड़कियों का पढ़ना-पढ़ाना जरूरी नहीं है| जब उन्हें लगा कि यह लड़की पानी उनके सिर से गुजार रही है तो उन्होंने उसे गोली मार दी| गोली भी मलाला के सिर में लगी-जान तो उसकी खतरे से बाहर बतायी जा रही है-उम्मीद की जानी चाहिए कि चूंकि गोली उसके सिर में लगी है तो वह गोली उसकी देह और दिमाग में कोई स्थाई बाधा पैदा न कर दे| भरोसा है कि उसकी देह और दिमाग तन्दुरुस्त रह गये तो तय मानिए मलाला अपने हौसले को कहीं जाने नहीं देगी|
12 अक्टूबर, 2012
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