Thursday, October 25, 2012

असत्य पर काल्पनिक जीत


कल दशहरे के दिन असत्य पर जो काल्पनिक जीत दर्ज की गई है वह ठीक लगभग वैसी है जैसी बीकानेर वेटेनरी कॉलेज के छात्र प्रतिवर्ष दर्ज करते आए हैं| स्थानीय वेटेनरी कॉलेज के छात्र पिछले कुछ वर्षों से अन्तिम बैच की विदाई के समय एक रस्म अदा करते हैं| बाकायदा घोड़ी और बैंडबाजे बुलवाए जाते हैं-कोई एक छात्र दूल्हा बनता है-बाकी कई बराती| बरात छात्रों के हॉस्टल से रवाना होकर छात्राओं के हॉस्टल तक पहुंचती है| कुछ देर वहां धमा-चौकड़ी होती है-लड़कियां इस हुड़दंग का आनन्द लेती हैं और तिलक करके बिना दुल्हन बरात को लौटा देती हैं| नाश्ता-खाना तो दूर की बात बरातियों की चाय-पानी की मनुहार भी नहीं की जाती| बेआबरू तो नहीं पर लगभग बैरंग लौटती इस बरात के बराती इसे भी अपनी जीत मान लेते हैं| ठीक वैसे ही जैसे दशहरा उत्सव स्थल से लौटते उत्सवी यह भ्रम लेकर लौटते हैं कि असत्य पर सत्य की जीत दर्ज हो गई है| इस आभासी जीत के चलते ही देश और समाज में असत्य अपना पांव लगातार पसार रहा है|
25 अक्टूबर, 2012

1 comment:

maitreyee said...

Wonderful...
Eye opener!!