Friday, October 19, 2012

इस अनुकूल समय में भाजपा के बुरे अध्यक्ष


फेसबुक पर एक मित्र हैं दिलीप सी मंडल-इंडिया टुडे (हिन्दी) के कार्यकारी सम्पादक हैं, आज उनका एक स्टेटस हैभाजपा को इस अनुकूल समय में बुरा अध्यक्ष मिला है’| दिलीप का यह स्टेटस सटीक लगा|
कांग्रेस अपने इतिहास में सन् 1977 के बाद सबसे प्रतिकूल समय का सामना कर रही है-देश की चुनावी राजनीति जैसी है उस के हिसाब से कांग्रेस के इस प्रतिकूल समय का सीधे-सीधे लाभ मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को मिलना चाहिए| लेकिन सांगठनिक तौर पर भाजपा अपने बिखरावी युग में प्रवेश कर चुकी है-जनसंघ के समय से इसके इतिहास पर नजर डालें तो भाजपा सांगठनिक स्तर पर इस तरह के दौर से कभी नहीं गुजरी| केवल प्रदेशों के बल्कि दिल्ली में बैठ कर केन्द्र की राजनीति करने वाले सभी नेता अपनी-अपनी डफली पर अपना-अपना राग आलापते बेसुरे हो रहे हैं|
दक्षिण से चलें तो केरल, तमिलनाडु में पार्टी की उपस्थिति लगभग नहीं है| कर्नाटक में येडियुरप्पा अपनी खुदमुख्त्यारी की तारीख का एलान कर चुके हैं, आंध्रा में उसका संग करने को कोई तैयार नहीं है कमोबेश ऐसी ही स्थिति ओडीसा और पं. बंगाल में है, इन तीनों ही जगह आप बूते कुछ करने की स्थिति में नहीं है भाजपा छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है-मुख्यमंत्री की छवि काम करने वाले की है लेकिन खनन घोटालों के आरोप और नक्सलियों से निबटने की दृष्टि का उनमें अभाव है-अनुकूलता इतनी ही है कि कांग्रेस अजीतजोगी कांग्रेस और गैर अजीतजोगी कांग्रेस में बंटी है|
महाराष्ट्र में केवल अपने बूते वह कभी कुछ कर पाएगी उम्मीद फिलहाल नहीं लगती, जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष केवल वहीं के हैं बल्कि कहा जाय तो पार्टी का ननिहाल भी वहीं है-यह बात दिगर है कि हमारे यहां कोई बच्चा दुस्साहस करता देखा जाता है तो उसे यह कहकर ही टोका जाता है कियह तुम्हारा ननिहाल थोड़े है|’ मध्यप्रदेश में सरकार लगातार दूसरी बार है| मुख्यमंत्री की छवि भी कमोबेश छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जैसी ही है पर यहां भी मुख्य विपक्षी कांग्रेस छत्तीसगढ़ी तर्ज पर ही है| दिग्विजयसिंह दस साल चुनाव लड़ने के अपने संकल्प का खुलासा नहीं कर रहे हैं कि उसे बढ़ा दिया है कि पूर्णाहुति कर दी है-दूसरे जिन नेताओं में शिवराज से ताल ठोंकने की क्षमता हो सकती है वे शायद इस लिहाज से सहमे हैं कि पता नहीं कब दिग्विजय अखाड़े में उतर आएंगे!
गुजरात भाजपा की स्थिति संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रदेशों की सी है-वहां नरेन्द्र मोदी प्रदेश भाजपा को लगभग पूर्ण स्वायत्तता से चला रहे हैं-समझ यह नहीं रहा है कि सांप-छछूंदर की इस कशमकश में पार्टी आलाकमान और गुजरात भाजपा में कौन सांप है और कौन छछूंदर? वैसे गडकरी तो अपने को निगलवाने को तैयार लगते हैं!!
झारखंड, बिहार, हरियाणा और पंजाब में पार्टी की स्थिति कमोबेश केवट से ज्यादा की नहीं है-दूसरों की नाव में केवटिये की कमी को पूरा करने के बहाने केवल सवार भर हो सकती है, होती भी है|
उत्तर-पूर्व के राज्यों और जम्मू-कश्मीर में अपने पांव जमाने में भाजपा को एक युग लग सकता है| देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में पार्टी अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से बेहतर स्थिति में नहीं हैं-दोनों पार्टियों की संभावनाएं अभी लंबे समय तक हरी होती नहीं दीखती है-कोई चमत्कार घटित हो जाये तो बात अलग है| मोटा मोट कांग्रेस अपने को भाजपा से बेहतर स्थिति में इसलिए पाती है कि उसका सभी राज्यों में कुछ कुछ आधार है|
रही बात अब राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल की तो राजस्थान की राजनीति परअपनी बातकई बार कर चुके हैं-और भी करेंगे| पर मोटा-मोट कहें तो यह तीन प्रदेश हैं जहां कांग्रेस और भाजपा बराबरी के पहलवान हैं| स्थानीय भाषा में कहें तो जोड़ के पहलवान हैं और जनता भी इन तीनों राज्यों में दोनों पार्टियों पर राजस्थानी कहावतउतर भीखा म्हारी बारीको चरितार्थ करवाती रहती हैं| दूसरे तरीके से कहें तो चुनना जनता की मजबूरी है जो एक बार सांपनाथ को चुनती है तो एक बार नागनाथ को| वैसे राजस्थान की क्षत्रप वसुन्धरा राजे बगावती दहलीज पर खड़ी है और उन्हें जब भी लगा कि उनकी हैसियत को नहीं गिना जा रहा है कभी भी ये दियुरप्पा का अनुसरन कर सकती है|
बात शुरुआत पर फिर ले आते हैं-दिलीप मंडल के स्टेटस परभाजपा को इस अनुकूल समय में बुरा अध्यक्ष मिला है|’ पार्टी अध्यक्ष अच्छा हो तो कांग्रेस की इस प्रतिकूल हवा को अपनी पार्टी के अनुकूल मोड़ सकता है| आगामी लोकसभा चुनाव में इतने सांसद तो जितवा ही लाए कि जैसे-तैसे ही सही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनवा लें| यह क्षमता और चतुराई नितिन गडकरी में तो नहीं दिखाई देती-बल्कि लगातार उन पर लग रहे आर्थिक घोटालों के आरोप उलटे पार्टी की छवि बदतर ही कर रहे हैं-रही बात नरेन्द्र मोदी की तो कांग्रेस विरोधी इस माहौल में जैसे-तैसे पार्टी 150-175 तक सांसद जितवा भी लाए तो नरेन्द्र मोदी के केन्द्र की राजनीति में आने पर 'राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन' नहीं बचेगा और बिना राजग के सरकार बनेगी कैसे?
19 अक्टूबर, 2012

No comments: