Saturday, June 21, 2014

शासकीय बेड़ा और औचक का असमंजस

सूबे की मुखिया शहर-द्वार गजनेर में डेरे डाले है, जहां डेरा है वह गजनेर पैलेस उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के इस भू-भाग का सबसे सुरम्य स्थान है। कभी अभयारण्य था, नाम अब भी है, गजनेर पैलेस की परगा में हजारों पेड़ होंगे। बारह मास लबालब रहने वाली झील भी है क्योंकि इस झील के पानी का किसी तरह का उपयोग यहां के बाशिन्दे नहीं कर सकते हैं। रियासत काल में यहां के शासक गर्मियां यहीं बिताते थे सो अच्छे वास्तु-शिल्प का भवन भी बना है। सुख-सुविधाओं के आधुनिक साधनों यथा वातानुकूलन की व्यवस्था है ही। परसों दोपहर तीन बजे पहुंची वसुंधरा राजे ऐजेन्डे की औपचारिकताएं पूरी कर शाम तक अपने इसी अस्थाई डेरे पहुंच गईं जो कल शाम ढलने तक वहीं रहीं-कहने को संचार के सभी साधनों के माध्यम से वे लगातार मंत्रियों और अफसरों की निगरानी करती और निर्देश देती रहीं।
वसुंधरा तो गजनेर चली गईं। मंत्रियों-अफसरों को निजी क्षेत्र के जिस महंगे होटल में ठहराया गया था, काम निबटा के जब पहुंचे तो मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव दोनों को ही यह होटल रास नहीं आया और उबल पड़े। आनन फानन में इन दोनों को होटल लक्ष्मी निवास पैलेस भेजा गया जो और महंगा है। अब इनसे पूछें कि आपने अपनी जीवन शैली ऐसी ही बना ली तो क्यों नहीं सर्किट हाउसों और सरकारी गेस्ट हाउसों का स्तर अपनी जीवन शैली के अनुकूल सज्जित करते ताकि सार्वजनिक धन की बर्बादी हो। खैर इस संभाग का समय ही तय कर लिया लगता है अन्यथा ये लोग ऐसे समय में माउण्ट आबू या उदयपुर ही जाते। घोषित कर दिया, ही गये तो कुछ कुछ तो करना ही होगा। उम्मीद करनी चाहिए कि इन नए राजाओं का दिमाग ठण्डा रहे और इस संभाग की कठिनाइयों को कुछ तो कम करके जाएं!
'सरकार आपके द्वार' की खबरों को लेकर एक शब्द 'औचक' के मानी गड्ड-मड्ड होने लगे हैं। औचक निरीक्षण शीर्षक की कल से खबरें लग रही हैं। शब्दकोश टटोला तो उसमें इस शब्द के अर्थ अचानक और यकायक दिए हैं लेकिन परसों जब राजेन्द्रसिंह राठौड़ पीबीएम अस्पताल पहुंचे तो उसे औचक क्यों कहा गया? अस्पताल प्रशासन को इसकी सूचना सुबह से थी। जिले के चिकित्सा अधिकारी जब कल सुबह सेटेलाइट अस्पताल पहुंचे तो इसे भी औचक कहा जबकि कल सुबह तक केवल पूरे परिसर की साफ-सफाई करके खिड़कियों पर पर्दे लगाए गए बल्कि ऐप्रन पहनें सभी ड्यूटी डॉक्टर समय पूर्व पहुंचे हुए थे।
वसुन्धरा राजे को सूरज ढलने के समय गजनेर पैलेस से निकल कर पवनपुरी स्थित नारी निकेतन और सूरसागर का औचक निरीक्षण के लिए पहुंचना था-इसकी सूचना दोपहर तीन बजे से पहले ही अधिकांश सम्बन्धितों तक पहुंच चुकी थी। कल से ही लग रहा था कि औचक शब्द के अर्थ अब तक जो माने हुए थे वह गलत तो नहीं है। शब्द-कोश टटोला तो अब तक जिस अर्थ को मानते रहे थे उसकी पुष्टि करता है। ज्ञात सूचनाओं के आधार पर समझें तो ऐसा कोई शब्द ध्यान में नहीं रहा कि समय-परिस्थिति अनुसार उसका अर्थ उलट गया हो। लेकिन अचानक इस 'औचक' के साथ ऐसा क्यों हो रहा है। पाठकों में कई भाषा-अनुभवी भी होंगे। कुछ बताएं और समझाएं भी।

21 मई, 2014

2 comments:

RAJNISH PARIHAR said...

औचक दरअसल पंजाबी शब्द है जिसे आजकल मीडिया वालों ने आकस्मिक कि जगह अपना लिया है जबकि सब को पता है कि ये औचक निरीक्षण कब और कहाँ होगा !लेकिन सरकार आई है तो ये सब तो होगा ही...पर ऐसी बहुत सी जगह है जहाँ कभी कुछ औचक नही होता !हान लोगों के लिए रोज़ कोई ना कोई मुसीबत औचक जरूर आ जाती है..

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