Saturday, June 14, 2014

तिल पापड़ी मांगना उपहास की वजह कैसे?

रियासती शासक गंगासिंह के हवाले से एक उल्लेख लोक में प्रचलित है। आम आदमी की किसी बात पर खुश होकर गंगासिंह ने उसे दरबार में बुलाया और कुछ मांगने को कहा-आम आदमी ने कहा कि तिल पापड़ी खिला दो। सुन कर कुछ मुसकाएं तो कुछ ने उसे इसलिए मूर्ख माना कि आज तो घर-बार, धन-धान्य जो भी मांगता मिल जाता। पर उस सन्तोषी की उत्कट इच्छा ही तिल पापड़ी थी। असल में क्या हुआ था--कुछ हुआ कि नहीं, थोड़े भिन्न रूपों में मौके-टोके शहरियों को इसका उल्लेख करते जरूर सुनते हैं।
उन्नीस से तीस जून तक के बीकानेर मेंसरकार आपके द्वारके समय मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और उनके मंत्रि- मंडल से बीकानेर के लिए हासिल करने की फेहरिस्तों में उस रियासती आम आदमी की इच्छा से लिए सबक की झलक साफ देख सकते हैं।
इसीलिए जब से इस कार्यक्रम की घोषणा हुई तब से ही मीडिया में हवाई सेवा, फूड पार्क, टैक्सटाइल पार्क जैसे हाई प्रोफाइल राग अलापे जा रहे हैं। यह सब बनें और शुरू हो इससे किसी को एतराज क्यों होगा पर आम आवाम जिन कामों से सीधे लाभान्वित हो उन्हें सुर्खियां नहीं मिल रही है, या फिर रेल फाटकों की समस्या का अव्यावहारिक बाइपास समाधान की बात फिर कही जाने लगी है। बीकानेर की आम जरूरतों के बारे मेंविनायकने अपने इसी कालम में 3 जून के अंक में उठाया है, रेल फाटकों की समस्या पर इतनी बार लिखा गया है कि उन्हें दोहराना भी अब अति लगने लगेगा।
शहर और देहात भाजपा ने इस हेतु मीटिंग भी की पर मीडिया को यह नहीं बताया कि इस अवसर पर वे शहर के लिए क्या चाह रहे हैं। बीकानेर (पूर्व) विधायक सिद्धीकुमारी के हवाले से आठ जून को राजस्थान पत्रिका में छपे बयान को देखें तो लगता है उनका विधानसभा क्षेत्र गंगाशहर तक ही सीमित है। हालांकि गंगाशहर के लिए सेटेलाइट अस्पताल, सड़कें, बिजली-पानी और सीवरेज जैसी जरूरतों और खेलकूद के संसाधनों को मुहैया कराने की बात उन्होंने की है। आम-आवाम से जुड़ी इन सुविधाओं की सिद्धीकुमारी द्वारा बात उठाना सुखद लगा।
बीकानेर (पश्चिम) के विधायक गोपाल जोशी के हवाले से आज समाचार लगा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मिल कर यहां की जरूरतों के बारे में बात की है जिनमें उन्होंने फिर रेल बाइपास का राग अलापा है। गंगाशहर में सेटेलाइट अस्पताल की बात जरूर आम-आवाम के जरूरत की है। इस उपनगरीय क्षेत्र की लम्बे समय से यह मांग भी है। तकनीकी विश्वविद्यालय का मुद्दा तो शायद इसलिए मुद्दा नहीं है कि इसका गुलगपाड़ा करवाने में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही समान जिम्मेदार हैं, जिसका उल्लेखविनायकइसी कालम में कर चुका है। बात तिल पापड़ी से शुरू की थी। तिल पापड़ी मांगना भर उपहास का हेतु नहीं हो जाता। आदमी जिसकी जरूरत शिद्दत से महसूस करता है, आकांक्षा भी उसी की करेगा। कहने का आशय इतना भर है कि जनप्रतिनिधियों और मीडिया, दोनों को ही ऐसे मुद्दों को उठाना और सुर्खियां देनी चाहिए जिनसे क्षेत्र के अधिकतम लोग लाभान्वित हो सकें। अन्यथा हो यही रहा है कि जिनके पास चौधर है वे अपने हितों की ही बात करते हैं, तर्क भी दे देंगे कि इससे कितनों को रोजगार मिलेगा। हवाई सेवा की बात करें तो क्या कभी इस तरह भी विचारा है कि उसे इतना यात्री भार मिल जायेगा कि उसे नियमित चलाने वाले को आर्थिक तौर पर नुकसान नहीं होगा। बीकानेर से लगभग तीन गुने विकसित जोधपुर की हवाई सेवाएं भी हिचकोले खाते चलती हैं, पता कर लें जरा।
14 जून, 2014


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