Friday, July 26, 2013

डॉ. विजय बोथरा का अवसान

शहर में कुछेक लोगों को ही परार्थ सेवा में धुन का धनी माना जाता है, उनमें एक थे डॉ. विजय बोथरा। सरकारी सेवा के चिकित्सक रहते हुए उनका मोड-मिजाज कभी अफसराना नहीं रहा। वे फिजिशियन थे, उन तक पहुंच रखने वाले उस प्रत्येक मरीज को वह हर सम्भव मदद करते थे, चाहे परामर्श हो या दवाईयों की जरूरत। अलावा इसके उन्होंने रतन नैत्र ज्योति संस्थान के माध्यम से नेत्रदान को लगभग अनुष्ठान के रूप में चलाया और शहर में यह माहौल बनाने में सफल रहे कि हजारों ने उनके अभियान से प्रेरित होकर नेत्रदान के संकल्प पत्र भरे। डॉ. बोथरा बीकानेर में जिस डिस्पेंसरी या अस्पताल में रहे वहां उन्होंने अपनी स्थाई-सी भूमिका बना ली थी। पिछले पचास सालों के इतिहास में डॉ. बोथरा शहर के अकेले ऐसे डॉक्टर थे जिनका स्थानान्तरण एक बार जिले से बाहर होने पर शहर के विभिन्न मौजिजों ने स्वप्रेरणा से उन्हें वापस लाने के प्रयास किए और सफल भी हुए।

डॉ. बोथरा का देहावसान अचानक हृदयाघात से हो गया और वे इस दुनिया से विदा हो लिए। ऐसे विनम्र व्यवहारी और परार्थ प्रवृत्ति वाले अपने शहर में और लोग क्यों नहीं है, हमें इस पर भी मनन करना चाहिए। चिकित्सा क्षेत्र में ही क्यों डॉ. बोथरा जैसी मनःस्थिति वाले लोग अन्य क्षेत्रों में प्रायः दुर्लभ हैं। डॉक्टरों कीकथाएंतो आए दिन ऐसी-ऐसी सुनने को मिलती है कि लगने लगता कि हम किस निकृष्टतम तक पहुंच कर रुकेंगे? डॉक्टरी ही क्यों समाज के अन्य व्यवसायों और अनुशासनों में कार्यरतों की स्थिति भी कमोबेश चिन्तनीय ही है। डॉ. बोथरा के निधन पर और चाहे कुछ ना करें, केवल सामाजिकता और मानवीयता के संकुचन तथा हृास पर ही चिन्तन मनन कर लेंगे तो उन्हें सभी की श्रद्धाञ्जलि होगी।

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