Wednesday, July 24, 2013

भानीभाई और हाजी मकसूद से

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार और संगठन में इन दिनों कुल जमा अभ्यास यही है कि आगामी विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की ही सरकार बने, इसे कैसे सुनिश्चित किया जाय। इस अभ्यास में एक बात छूट रही लगती है। प्रदेश के अधिकांश स्थानीय निकायों के मुखिया या बोर्ड कांग्रेसी हैं, नगर विकास न्यासों के मनोनीत सभी अध्यक्ष कांग्रेसी हैं तो नगर पालिका, परिषद और निगमों में अधिकांश जगह अध्यक्ष, महापौर और बोर्ड कांग्रेस के हैं। इस तरह से इन सभी कस्बों, शहरों की सामान्य जन-सुविधाओं के रख-रखाव विकास की जिम्मेदारी भी सीधे इन्हीं पर आती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इन स्थानीय निकायों को धन उपलब्ध करवाने के साथ-साथ लगातार उनके द्वारा हड़काए जाने से विकास के काम तो सरकारी रीति-रिवाज से हो रहे हैं लेकिन देखा गया है कि सभी स्थानीय निकाय सामान्य जन सुविधाओं (सड़के, नालियां और रोड लाइटें) के रख-रखाव के मामले में ना केवल फिसड्डी साबित हो रहे हैं, ऐसे काम ना केवल उनकी प्राथमिकता में नहीं है बल्कि उन्हें लगता ही नहीं है इन रख-रखावों को दुरुस्त रखना कितना जरूरी है, जबकि सभी स्थानीय निकायों में सामान्य जन सुिवधाओं के रख-रखाव के सेल या प्रभाग अलग से काम कर रहे हैं।
विकास के, नई सड़कें बनाने के, सामुदायिक केन्द्र बनाने या पट्टे बनाने जैसे कामों से उनसे सीधे लाभान्वित होने वाले ही खुश या प्रभावित हो सकते हैं। कस्बों-शहर के शेष बाशिन्दों का साबका शहर की सड़कों, सड़कों को क्रोस करती नालियों और रोड लाइटों से आए दिन पड़ता है और यदि यह दुरुस्त नहीं रहती हैं तो उनका असन्तोष मौजूदा शासन के प्रति ही बढ़ता है। यदि ये तीन सामान्य जरूरतें उन्हें दुरुस्त मिलती हैं तोऐन्टी इन्कम्बेंसीजैसे असन्तोष की तीव्रता भी कम हो जाती है।
उक्त भूमिका के प्रकाश में अब अपने शहर के सन्दर्भ में बात कर लेते हैं। शहर के महापौर भवानीशंकर शर्मा हैं जो शहर के वरिष्ठतम कांग्रेसी होने के साथ प्रदेश के मुखिया के भी खास हैं और न्यास अध्यक्ष हाजी मकसूद उत्साही और युवा होने के साथ-साथ उन डॉ. बीडी कल्ला के खासमखास माने जाते हैं और उन्हें ऐसा व्यवहार भी करते देखा जा सकता है जिन कल्ला का बीकानेर पश्चिम से इस बार का चुनाव जीतना उनके राजनीतिक अस्तित्व के रहने ना रहने को तय करेगा। और यह भी कि हाजी मकसूद मुख्यमंत्री के स्नेहभाजक भी माने जाते हैं।
इतनी अनुकूलताओं के बावजूद शहर की दोनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस काबिज हो जाएगी, ऐसा मानना फिलहाल तो नामुमकिन ही है। न्यास और निगम चाहे तो शहर केऐन्टी इन्कम्बेंसी के इस माहौल को बदलने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए अब पर्याप्त नहीं तो इतना समय जरूर है कि महापौर और न्यास अध्यक्ष व्यक्तिगत निगरानी में इन सामान्य जन सुविधाओं को दुरुस्त करवाएं। यदि ये दोनों ही ऐसा करने की मंशा बना लेते हैं तो वह आम मतदाता, जो वर्तमान में चल रही इन सरकारी योजनाओं और विकास से सीधे लाभान्वित नहीं है, और शासन के प्रति जिसका असन्तोष ना केवल कस्बों-शहर के चुनावी माहौल को बदलने में बड़ी भूमिका निभाता है बल्कि ऐसे कस्बाई-शहरी माहौल का असर उसके आस-पास के ग्रामीण मतदाताओं पर भी डालता है।
भानीभाई और हाजी मकसूद शहर की दोनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के लिए सचमुच अनुकूलता बनाने का मानस रखते हैं तो न्यास और निगम क्षेत्र में आने वाली सभी सड़कों को दुुरुस्त करने की योजना बनाएं। सड़कों का यह काम बारिश के तुरन्त बाद हो सकता लेकिन तब तक इन सड़कों को क्रोस करने वाली तथा इर्द-गिर्द की नालियों को दुरुस्त करवाने का काम करवाया जा सकता है। इन नालियों को दुरुस्त रखने के लिए इन दोनों को ही उन सरकारी महकमों से यह व्यवस्था करवानी चाहिए कि जो प्लास्टिक थैलियों के उपयोग को रोकने के लिए कानूनन जिम्मेदार है। ऐसा करवाना भी इन जन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी में ही आता है। स्म़रण करें शुरू के महीना-डेढ महीना जब प्लास्टिक थैलियों पर प्रभावी रोक थी तब नालियों सीवर का पानी सड़कों पर नहीं आता था। इसके अलावा शहर की रोड लाइटों के रख-रखाव की व्यवस्था को भी चाक-चौबन्द किया जाना चाहिए, जहां-जहां यह नहीं जलती, वहां यह लक्ष्य होना चाहिए कि निगरानी हो और छत्तीस से अड़तालीस घंटों में दुरुस्तगी हो। जो रोड लाइटें कर्मचारियों द्वारा जलाई-बुलाई जाती है, उनमें मुस्तैदी आए और जहां टाइमर लगे हैं उनके समय में मौसम अनुसार दिनों के छोटे-बड़े होने पर टाइमर के प्रोग्राम में बदलाव समय पर होने चाहिए। और जहां-जहां इनके स्विच पैनल लगे हैं उनकेलॉक एण्ड कीकी व्यवस्था होनी चाहिए। अकसर देखा गया है कि इनके दरवाजे खुले पड़े रहते हैं। और यह भी कि रोड लाइटों के खम्बों के एमसीबी बॉक्स जगह-जगह खुले देखे जा सकते हैं। यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि किन क्षेत्रों का रख-रखाव निगम करेगा और किनका न्यास। क्योंकि निकायों के इन मुखियाओं को ही कहते सुना है कि फलां रोड की लाइटों का रख-रखाव न्यास का है तो न्यास के मुखिया कहते पाए जाते हैं कि रख-रखाव की जिम्मेदारी न्यास की है ही नहीं।
भानीभाई और हाजी मकसूद चाहें तो इस तरह इस शहर की और शहर के सहारे आस-पास के ग्रामीण इलाकों की चुनावी हवा को कुछ डिग्री ही सही कांग्रेस के पक्ष में करवाने में योगदान कर सकते हैं। यह उन्हें बताने की शायद जरूरत नहीं कि जिस प्रकार रेखा गणित में एक डिग्री का फर्क भी कितना असरकारक होता है ठीक उसी तरह मतदाताओं का एक प्रतिशत बदला रुझान भी क्या-क्या गुल-खिला सकता है।
2008 में वसुन्धरा सरकार द्वारा बीकानेर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह के समय आनन-फानन में शहर में करवाए। ऐसे ही सामान्य जन सुविधाई कामों से मतदाताओं के रुझान में परिवर्तन के प्रभाव को भानीभाई और हाजी मकसूद दोनों को ही स्मरण कर लेना चाहिए। कम से कम शहर में तो कांग्रेस के प्रति ऐसी जिम्मेदारी फिलहाल तो इन दोनों के अलावा किन्ही अन्यों पर नहीं दिखती।

24 जुलाई,  2013

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