Tuesday, May 7, 2013

यश दवे की मौत


शहर के एक निजी स्कूल के छात्र यश दवे की मौत गत चार अप्रेल को हो गई थी। यश अन्य छात्रों के साथ इन्दिरा गांधी नहर के हुसंगसर लिफ्ट पर स्कूल प्रबन्धकों द्वारा आयोजित पिकनिक में गया था। यह अभी रहस्य ही बना हुआ है कि पिकनिक के दौरान यश सहित दो बच्चे नहर में कैसे गिर पड़े। एक बच गया और दूसरे की डूबने से मौत हो गई।
चार अप्रेल से यश के अभिभावक कई सवालों का जवाब चाह रहे हैं और वे लगभग बदहवासी की हालात में हैं। जवाबदेही की पहली जिम्मेदारी स्कूल प्रबन्धन की बनती है, लेकिन कहा जा रहा है कि प्रबन्धन और पूरे स्टाफ ने ही रहस्यमय खामोशी ओढ़ रखी है। बच्चे के अभिभावकों का कहना है कि पिकनिक का यह मौसम ही नहीं था, जो सच भी है। फिर यदि ले ही गये तो वर्जित क्षेत्र में क्यों ले गये छात्रों को, और चले गये तो चाक-चौबंद सावधानियां क्यों नहीं बरती गई। अभिभावकों का यह भी आरोप है कि दुर्घटना के बाद यश को वहां वैसे ही छोड़ कर विद्यालय के प्रबन्धक और स्टाफ शेष बच्चों को लेकर वहां से चले गये। यश के शव को कई देर बाद पुलिस अस्पताल लेकर पहुंची।
दूसरा बड़ा प्रश् यह है कि जहां छात्र पहुंच गये थे, वह क्षेत्र पूरी तरह से वर्जित क्षेत्र है और वहां उस लिफ्ट से सम्बन्धित कर्मचारियों के अलावा सभी का प्रवेश निषेध है। नहर विभाग ने अपने बचाव के लिए औपचारिक गेट लगा रखा है, औपचारिक इसलिए की बंद गेट के अलावा अन्दर जाने के लिए कोई बाधा है ही नहीं। कहने को गेट पर ताला भी जड़ा रहता है और एक से अधिक सूचना पट्ट भी इस मुनादी के साथ लगा रखे हैं कि इस क्षेत्र में प्रवेश निषेध है और नहर में नहाना मना है। लेकिन यह दोनों ही पाबंदियां नाम भर को है और सभी वर्जित काम वहां धड़ल्ले से होते आए हैं। वर्षों पहले नशे में धुत कुछ युवकों ने यहीं तब के जिला कलक्टर के साथ बदसलूकी की तब से वहां कहने भर को एक पुलिस चौकी भी कायम है। इस सबके बावजूद पता नहीं क्यों यश के अभिभावक स्कूल प्रबन्धन के साथ-साथ नहर विभाग को कठघरे में खड़ा नहीं कर रहे हैं। शायद मनःस्थिति ही ऐसी है कि वह इस ओर विचार नहीं कर पा रहे हैं। जब से हुसंगसर हैड बना है तब से ठीक-ठाक संख्या तो याद नहीं लेकिन पचासों लोग इस वर्जित क्षेत्र में डूबने से मर चुके हैं। इसके बाद भी वहां पिकनिक, गोठें अौर मौज-मस्ती बदस्तूर जारी है।
लोक में कैबत है कि दुखों का बड़ा इलाज समय होता है, उम्मीद करते हैं कि यश के अभिभावक जिंदगी भर की टीस लिए धीरे-धीरे सहज हो जाएंगे। हो सकता है यश के जाने को विधाता की मर्जी मान लेंे। जिला कलक्टर ने भी सभी स्कूलों को इससे मुतल्लिक निर्देश भेज कर अपनी एक ड्यूटी पूरी कर ली। दूसरी बड़ी ड्यूटी शायद उन्हें ध्यान नहीं आई वह यह कि जिला कलक्टर को हुसंगसर हैड के अधिकारियों से भी जवाब-तलब करना चाहिए कि वह हैड के लिए तय पाबन्दियों को सख्ती से लागू क्यों नहीं करते? सूचना के अधिकार कार्यकर्ताओं को भी यह जानकारी मांगनी चाहिए कि इस हैड पर अब तक कितनी जानें जा चुकी हैं और जानकारी मिलने पर हुसंगसर हैड से जुड़े नहरी विभाग को उन तमाम मौतों का जिम्मेदार मानते हुए उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर करना चाहिए।
रही स्कूल प्रबन्धन की बात तो इस दुर्घटना के बाद उन्हें किसी मलाल में नहीं देखा गया वे अपने चिर परिचित अंदाज में वैसे ही समारोह-पार्टियों में देखे जाते हैं। हो सकता है इस दुर्घटना की कोई बात करे तो घड़ियाली आंसू दिखा देते होंगे।

No comments: