जेलें आजकल सुर्खियों में हैं। इन जेलों को सरकारी रिकार्ड में सुधारगृह कहा जाने लगा है, लेकिन इनमें जिनको रखा जाता है उन्हें आज भी कैदी ही कहा जाता है। आपको बता दें कि जेल का एक हिन्दी शब्दार्थ कैदखाना भी है। इस हिसाब से देखें तो यदि जेल शब्द अनुचित था तो फिर कैदी शब्द भी उसी श्रेणी में आना चाहिए, तब कैदी के लिए भी कोई अन्य शब्द जैसे सुधरिया या अन्य कोई हो सकता था। जेल को तो सुधारगृह नाम दे दिया, शायद कैदी के लिए उन्हें कोई सकारात्मक शब्द नहीं सूझा होगा। खैर बात बनाने का मकसद यह बताना है कि केवल नाम बदलने से ही चमत्कार घटित नहीं हो जाता है उसके लिए मंशा बदलनी होती है जिसकी सम्भावनाएं फिलहाल न के बराबर हैं अन्यथा जिस तरह की खबरें खुले और दबे मुंह इन सुधारगृहों के बारे में आती है उनसे लगने लगा है कि यह सुधारगृह नहीं बिगाड़गृह ही.हैं। किसी भले आदमी से आवेश में या लालच में कोई चूक हो गई और वह इस सुधारगृह के धक्के चढ़ गया तो समझो कि उसके बिगड़ने की आशंका ही ज्यादा है।
-- दीपचंद सांखला
3 मार्च, 2012
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