सम्भाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल की दशा कुछ ठीक-ठाक बची है तो उसके श्रेय के एक हकदार भंवरलाल पेड़ीवाल भी थे। पेड़ीवाल का कल असमय निधन हो गया। सरकार की ओर से पीबीएम अस्पताल को दिए जाने वाले आर्थिक संसाधनों में लगातार कमी करने, लगातार बढ़ते मरीज भार से भवनों के छोटे पड़ने और अस्पताल के रसोवड़े के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से चरमराती व्यवस्था को सम्हालने का काम अपनी व्यावसायिक व्यस्तता के बीच भी पेड़ीवाल लगातार करते रहे, इसके लिए उन्हें याद किया जाता रहेगा। अतिरिक्त धन वाले स्थानीय और प्रवासी व्यापारियों और उद्योगपतियों को पीबीएम में धन लगाने को वे लगातार प्रेरित करते रहे और कई धनिकों का उन्होंने यह भरोसा भी हासिल कर लिया कि उनके धन का दुरुपयोग नहीं होगा। पीबीएम परिसर में बनी अधिकांश नई अट्टालिकाएं और नवनिर्माण, जिनमें धर्मशालाएं भी शामिल हैं, जैसे सभी कामों में उनका योगदान रहा तथा पुराने भवन के विभिन्न विभागों को जरूरी सुविधाओं और उपकरणों से सज्जित करवाने के काम भी वे लगातार करवाते रहे। उनके उल्लेखनीय कामों में पीबीएम में संचालित हो रहे भोजनालय भी शामिल हैं जिनमें नाम मात्र की दरों पर मरीजों और उनके परिजनों को दोनों समय अच्छा भोजन उपलब्ध होता है। ‘विनायक’ भंवरलाल पेड़ीवाल के विनम्र स्मरण के साथ उम्मीद करता है कि उनके शुरू किए गये कामों की व्यवस्था चरमराएगी नहीं और कोई अन्य व्यक्ति ऐसे कार्यों के लिए अपना समय निकालने को तैयार हो जाएगा।
6 दिसम्बर, 2013
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