Friday, December 6, 2013

नेल्सन मण्डेला का अवसान

दुनिया में रंगभेद के प्रखर विरोधी माने जाने वाले नेल्सन मण्डेला का निधन कल दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग स्थित निज निवास में हो गया। मण्डेला की गिनती दुनिया के उन नेताओं में होती है जिनकी प्रबल आस्था मोहनदास कर्मचन्द गांधी के तौर-तरीकों में थी और उन्हीं का अनुसरण करते हुए उन्होंने ना केवल दक्षिण अफ्रीका को 1994 में पूर्ण आजादी दिलाई बल्कि गोरी-काली चमड़ी के आधार पर भेदभाव का आधिकारिक रूप से दुनिया से खात्मा करवा दिया। मण्डेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को हुआ तब तक गांधी भारत को मुखातिब हो चुके थे लेकिन उनकी गाथाएं हर सजग दक्षिण अफ्रीकी की जुबान पर थीं। मंडेला ने गांधी के रास्ते को ही अपनाया, आजादी की अपनी लम्बी लड़ाई में जवानी के तीस साल जेल में बिताए और दुनिया को रंगभेद और अपने देश को गुलामी से मुक्त करवाया। आजाद दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति बने और उसके वर्तमान के निर्माता भी। पांच साल बाद 1999 में उन्होंने अपने को इस औपचारिक जिम्मेदारी से भी मुक्त कर लिया। भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्चभारत रत्ननागरिक सम्मान से नवाजा। मण्डेला का जाना बीसवीं सदी के बेहद जीवट और जुझारूपन के जीते-जागते व्यक्तित्व का ओझल होना है। किंवदंती के से कृतित्व वाले मंडेला को दुनिया में गांधी की ही तरह याद किया जाएगा। पिछले लम्बे समय से अस्वस्थ चल रहे मंडेला का उनके देहावसान परविनायकविनम्रतापूर्वक स्मरण करता है।

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