Tuesday, October 8, 2013

शहरी जरूरतों के लिए सोच सकारात्मक हो

कुछ मौजिज लोग जिला कलक्टर से मिले और गोगागेट सर्किल से रामरतन कोचर पॉइण्ट तक की प्रस्तावित फोरलेन सड़क का विरोध किया। उनकातर्कथा कि यह प्रस्ताव कुछ प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने की मंशा से लाया गया है। हो सकता है इस सड़क के चौड़ा हो जाने से किसी व्यक्ति विशेष को अतिरिक्त लाभ हो जायेगा, लेकिन विरोध करने वाले यह क्यों भूल रहे हैं कि नोखा रोड पर बढ़ते शहर के लिए इस मार्ग को सुव्यवस्थित करना जरूरी है। इस मार्ग का प्रतिदिन उपयोग करने वाले उन हजारों शहरवासियों की सुविधा को इस बिना पर नजरअन्दाज करना कहां तक जायज है कि इससे किसी विशेष का फायदा हो जायेगा।
इससे पहले भी कुछ लोगों ने रेलवे स्टेशन से सूरज टॉकीज की ओर जाने वाले मार्ग का यह कर विरोध किया था कि इससे नगर विकास न्यास के एक पूर्व अध्यक्ष को फायदा होगा। ऐसे तर्क देने वालों से यह समझने की चूक क्यों हो गई कि यह मार्ग अगर विकसित होता है तो बीकानेर रेलवे स्टेशन के लिए एक मार्ग और सुलभ हो जायेगा।
ठीक ऐसा तर्क देवीसिंह भाटी द्वारा तब दिया गया जब वे जैसलमेर-जोधपुर जाने वाले राजमार्गों को जोड़ने वाले रिंग रोड के हिस्से के निर्माण के विरोध में आन्दोलन पर उतर आए थे। पूर्व के इन दोनों ही मुद्दों पर तब भी अपनी बात इसी तरह रखी थी कि अजगर की तरह बढ़ते इस शहर की सड़कों को विकसित करने की जरूरत है। हालांकि विकास के शहरी मॉड को आदर्श नहीं माना जा सकता लेकिन इसी मॉडल को जब हमने अपने पर थोपवा लिया है तो रास्ते उसी में ही निकालने होंगे। जिन बढ़ते शहरों ने इस तरह की उदारता रखी उन शहरों का रहन-सहन और आवागमन दोनों सुगम हुए हैं। बीकानेरियोंं में ऐसी उदारता और समझदारी का अभाव हमेशा देखा गया है।
शहर की सबसे बड़ी समस्या रेल फाटकों के बंद होने से लगने वाले जाम की है और उनका आदर्श समाधान ऐलिवेटेड रोड से बेहतर नहीं हो सकता। पचीस-पचास लोगों के ना-समझ विरोध ने इसे नहीं होने दिया, अन्यथा इन छह वर्षों में यह बन कर तैयार हो जाता।
रानी बाजार में काली मन्दिर रोड का चौपड़ा कटले की ओर का मुहाना, गोगागेट से लाल गुफा की ओर जाने वाले रास्ते का मुहाना, तोलियासर भैरूंजी गली के दोनों मुहाने, सांखला फाटक को कोयला गली की ओर रेलवे फाटक के दूसरे बेरियर की जरूरत आदि, इन मार्गों को सुधरवाना बहुत मुश्किल नहीं है। ये हो लें तो थोड़ा मुश्किल काम कोटगेट से सुभाष मार्ग का मुहाना है, जिसे देर सवेर चौड़ा करना होगा, मुश्किल इसलिए है कि इसे चौड़ा करने में कई घरों-दूकानों का पुनर्वास करना होगा और जरूरी इसलिए है कि यह मार्ग शहर के एक बड़े हिस्से लालगढ़, रामपुरा और मुक्ताप्रसाद कॉलोनी को जोड़ने वाला है।
ये सब काम तभी संभव हो सकते हैं जब मौजिज कहलाने वालों की सोच व्यापक हो, जिन्हें विस्थापित किया जाना है उन्हें ना केवल उनकी पसन्द की कॉलोनियों में भूखण्ड दिए जाए और मुआवजा भी आकर्षक देना होगा। यह सब तभी संभव है जब सम्बन्धित सभी की सोच सकारात्मक हो, खासकर उनकी जिनका पेशा राजनीति करना है।

8 अक्टूबर, 2013

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