Monday, July 7, 2014

धनकड़ के बोल और सुशील मोदी की टेर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नजदीकी और भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनकड़ ने अपने प्रदेश हरियाणा के जींद में किसान मोर्चा के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुंआरे रहे युवकों को प्रलोभन दिया कि यदि प्रदेश में इस बार भाजपा की सरकार बनवाते हो तो आपको कुंआरा रहना नहीं पड़ेगा और ही चोरी-छिपे या कहें मानव तस्करी करके बिहार से लड़कियां लाकर विवाह रचाने की जरूरत पड़ेगी। धनकड़ ने कहा कि बिहार भाजपा नेता उनके यार हैं। बेधड़क रिश्ते करवा कर यहां के गांवों में घूम रहे सैकड़ों कुंआरों की शादियां करवा देंगे। हरियाणा में इसी वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और हरियाणा प्रदेश के गठन के बाद से भाजपा अपने बूते कभी सरकार यहां नहीं बना पायी।
भाजपा अध्यक्ष राजनाथसिंह से पत्रकारों ने जब इस बयान पर प्रतिक्रिया चाही तो बिना पत्रकारों को देखे यह कहकर कन्नी काट ली कि उन्होंने यह बयान सुना नहीं है। वहीं बिहार भाजपा नेता सुशील मोदी ने धनकड़ के इस बयान का बचाव किया और बात को सजाने की कोशिश की।
यह तो रही बातों की पुरसगारी। दरअसल हरियाणा राज्य देश के उन प्रदेशों में आता है जहां लिंगानुपात सर्वाधिक गड़बड़ाया हुआ है। 2011 की जनगणना के आधार पर बात करें तो प्रदेश में प्रत्येक हजार पुरुष पर मात्र 861 महिलाएं ही हैं। भ्रूण की जांच के बाद कन्या भ्रूण हत्याओं की करतूतें यहां धड़ल्ले से हो रही हैं। कानून तो कानून धर्म, नैतिकता और सरग-नरक के भय तक बेअसर हैं। नये जमाने की जरूरत के कुतर्क के आगे बड़े-बूढ़े भी इस सब को होने देने की स्वीकृति देने लगे हैं। अलावा इसके हरियाणा उन प्रदेशों में है जहां प्रवचनकार, बाबा और तथाकथित धर्मगुरुओं की अच्छी-खासी तादाद है और वहां उनके आश्रमों में प्रवचन भी नियमित चलते हैं। आजादी के पहले तक हरियाणा के इन्हीं क्षेत्रों में महर्षि दयानन्द और उनके आर्य समाज का भी अच्छा खासा प्रभाव रहा। लगता है इन सभी ने भ्रष्टाचार की तरह भ्रूण हत्या को भी जमाने की जरूरत मान लिया है। भ्रष्टाचार के चलते आने वाले अनाप शनाप चन्दों से इनके आश्रम दमक रहे हैं और प्राय: अधिकांश तथाकथित ये गुरु-भगवान विलासिता का जीवन जीने लगे हैं। कोई धर्मगुरु कालेधन और भ्रष्टाचार की बात नहीं करता। रामदेव भी कालेधन की बात रणनीति के तहत ही करते हैं। जबकि देश का बंटाधार यह भ्रष्टाचार ही कर रहा है।
आजकल के माता-पिताओं और इकाई के तौर पर परिवारों में भी सामान्यत: घोर अमानवीयता यह भी देखी जाती है कि बालक और किशोर के बीमार होने पर उसके स्वास्थ्य पर जो तत्परता बरती जाती है और पैसा खर्च किया जाता है वैसी सावचेती बालिका और किशोरी के बीमार होने पर नहीं बरती जाती। शिक्षा और खान-पान की दुभांत भी विचलित करती है। जो ऐसा नहीं करते वे नाक-भौंह सिकोड़ें, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि सभी ऐसा नहीं करते।
बात धनकड़ के बयान पर ले आते हैं। अधिकांश राजनेता चाहे वे किसी भी पार्टी के हों उथली समझ के साथ मर्दवादी सोच के हैं और स्त्रियों को कहते तो देवी हैं लेकिन स्त्री को वस्तु या जिसे अंग्रेजी में कमॉडिटी कहते हैं से ज्यादा नहीं मानते। इस भ्रष्ट आधुनिक व्यवस्था में स्त्री की कद्र और भी कम हुई है। अन्यथा तो धनकड़ ऐसा बयान देते और ही सुशील मोदी उनके बचाव में आते। सुशील मोदी बचाव करते ये भूल गये या उन्हें जानकारी ही नहीं है कि बिहार का  लिंगानुपात भी आदर्श नहीं है। वहां प्रति 1000 पुरुषों पर मात्र 916 स्त्रियां हैं। क्या वे इसकी स्वीकृति देना चाह रहे हैं कि हरियाणा का लिंगानुपात ठीक करने के लिए बिहार का लिंगानुपात और बिगड़वा लेंगे? और यह भी कि इस सब लपा-लपी में स्त्री की अपनी कोई इच्छा नहीं होती।
होना तो यह चाहिए था कि लिंगानुपात बिगडऩे के मुख्य कारण कन्या भू्रण की चोरी छिपे धड़ल्ले से हो रही हत्याओं को रोकने का अभियान चलाते। कोई धर्मगुरु और ही राजनेता इस ओर सचेष्ट है, बेटे की जरूरत या केवल बेटों का बाप होने की हेकड़ी कन्या भ्रूणों को लगातार खत्म करवा रही है। समाज में यह प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। धर्म की बातें केवल सुविधा की बात रह गई।

7 जुलाई, 2014

No comments: