Wednesday, September 25, 2013

आज भानीभाई से

नगर विकास न्यास अध्यक्ष हाजी मकसूद के हवाले से कल के सम्पादकीय के अन्त में विनायक ने महापौर भवानी शंकर शर्मा को भी आगाह किया था कि निगम आम सुविधाओं पर खरा नहीं उतरा तो आगामी चुनावों में लहर या माहौल का मिलने वाला लाभ कांग्रेस को नहीं मिलेगा। चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि यह लहर यदि पूरे यौवन पर हो तो दस प्रतिशत तक मतदाताओं को इधर-उधर कर सकती है। प्रतिशत तो दूर की बात सूबे के दिग्गज कांग्रेसी सीपी जोशी पिछले चुनाव में एक वोट से हार गये थे।
महापौर भानीभाई व्यक्तिगत मुलाकातों में और जिला जन-सम्पर्क कार्यालय द्वारा प्रकाशित बीकानेर जिला दर्शन-2013 में नगर निगम की उपलब्धियां और योजनाएं गिनवाते हैं, मात्र इनसे निगम की जिम्मेदारियों की इतिश्री नहीं हो जाती है। शहर में अवाम की आम और सामान्य जन-सुविधाएं यथा साफ-सफाई और रात्रि में रोडलाइटों की व्यवस्था अच्छी छोड़ सामान्य भी नहीं देखी जाती है। इन दो आधारभूत व्यवस्थाओं की स्थिति के बारे में कभी ना भानीभाई जिक्र करते हैं और ना ही उक्त उल्लेखित जिला दर्शन में गिनाई गई निगम की उपलब्धियों में इनके मुतल्लिक उल्लेख है।
भानीभाई संसाधनों की कमी बता कर छूट ले सकते हैं क्योंकि नगर विकास न्यास जैसे आय के साधन निगम के पास नहीं हैं लेकिन फिर भी राज्य सरकार ने समय-समय पर बीकानेर निगम को विशेष धन मुहैया करवाया है। यानी भानीभाई चाहते तो सूबे के मुखिया से सम्बन्धों के चलते काम करते दीख कर और भी हासिल कर सकते थे। सफाई को लेकर भानीभाई सफाईकर्मियों की कमी का तर्क दे सकते हैं और यह भी कि लम्बे अन्तराल के बाद शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया को मिली चुनौती और न्यायिक बाधाओं के चलते आई रुकावट का कारण भी गिनवा सकते हैं।
लेकिन, अब जब रोडलाइटों के मामले में मेंटीनेस ठेके पर दी जाने लगी है तो फिर रोडलाइटें व्यवस्थित क्यों नहीं जलती है। रोडलाइटों की कतार की कतार बन्द हो जाना या बीच में बीच इक्का-दुक्का बन्द होना और बन्द की सूचना देने के बावजूद छः-छः महीनों तक ना जलना लापरवाही नहीं तो क्या है। इन रोडलाइटों को जलाने-बुझाने के लिए आज कल टाइमर लगने लगे हैं लेकिन मौसम में बदलाव के चलते होने वाले छोटे-बड़े दिनों के हिसाब से इनके जलने-बुझने के समय को बदलने में ही कोताही बरती जाती है।
रही बात सफाई की तो मान सकते हैं कि निगम में बरसों तक नये सफाईकर्मियों की स्थाई नियुक्ति नहीं हुई और शहर अजगर की तरह बढ़ा है लेकिन क्या इसके बावजूद महीने में दो-चार बार ठेके पर सफाई नहीं करवाई जा सकती। जिन-जिन इलाकों से आगन्तुक वीवीआईपी गुजरते हैं उन इलाकों की सफाई भी इसी तरह करवाई जाती ही है।
क्रॉसिंग नालियों के पतड़े, जालियों का बार-बार टूट कर गायब होना, गायब हो जाने पर लम्बे समय तक वापस ना लगना। पॉलीथिन थैलियों के अवैध उपयोग के चलते सीवर और खुली नालियों का बार-बार डटना। पानी रिसाव से धंसी सड़कों के नालों की मरम्मत के बाद सड़कों को बिना मरम्मत के लम्बे समय तक पड़े रहने देना जैसी लापरवाहियां जनसामान्य में राज के प्रति आक्रोश पैदा करती हैं।
पॉलीथिन थैलियों पर विनायक ने एक बार पहले भी बताया था कि इन थैलियों से नगर निगम की व्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावित होती और निगम को प्रयास करना चाहिए कि शहर में यह रोक प्रभावी ढंग से लागू हो। भानीभाई जैसे प्रभावी महापौर इसे संभव भी करवा सकते हैं लेकिन पता नहीं क्यों भानीभाई इस ओर से आंखें मूंदे हुए हैं।
वैसे सरकारी अर्द्धसरकारी विभागों में बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के निजी उपयोग के वाहनों को छोड़ दें तो अन्य वाहनों और महंगे उपकरणों की मेंटीनेंस कोई बहुत अच्छी नहीं पायी जाती लेकिन नगर निगम और नगर विकास न्यास के इन वाहनों और महंगे उपकरणों की हालात तो बद्तर से भी बद देखी जाती है। गारंटी या वारंटी अवधि समाप्त होते ही लाखों-लाख रुपये के उपकरण भण्डारों में जगह घेरने से ज्यादा कुछ नहीं करते। क्या निगम और न्यास इनकी नियमित और पुख्ता मेंटीनेंस के किसी सिस्टम को विकसित करने की मंशा रखते हैं?
अंत में कल वाली बात को पुनः दोहराने में कोई संकोच नहीं है कि आम सुविधाएं सुचारु नहीं होती है तो एंटी इनकम्बेंसी को मुखर होने से नहीं रोका जा सकता। ये यह एंटी इनकम्बेंसी, उन मतदाताओं पर ज्यादा असर करती हैं जो सीधे या व्यक्तिगत या किसी छोटे मोटे समूह के रूप में राज से सीधे लाभान्वित नहीं हुए होते हैं और ऐसे वोटर कम नहीं होते। भानीभाई और हाजी मकसूद को यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले विधानसभा चुनाव में शहर की दोनों सीटें उनकी पार्टी हार गई थी।

25 सितम्बर, 2013

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