Wednesday, September 18, 2013

हमारे ये दिग्गज जनप्रतिनिधि

राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष, 1980 के बाद से पांच बार शहर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा और राज में नुमाइंदगी कर चुके प्रभावशाली डॉ बीडी कल्ला; मर्जी के मालिक भाजपाई दिग्गज और 1980 से शहर की दूसरी सीट कोलायत से राज में सातवीं बार नुमाइंदगी कर रहे अतिप्रभावी देवीसिंह भाटी; आजादी के बाद से आज तक जिले के सक्रिय राजनेता और प्रभावी मानिकचन्द सुराणा; पिछले साठ वर्षों से शहर और लगभग जिले के सार्वजनिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय वर्तमान बीकानेर (पश्चिम) विधायक गोपाल जोशी; सूबे के वर्तमान मुखिया के खासमखास और नगर महापौर भवानीशंकर शर्मा; राज में जिले से एक मात्र नुमाईंदे और एस्कोर्ट फोलोअप गाड़ियों के साथ दौड़ने वाले गृहराज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल; राज के मुखिया के पट्टों में घुसे माने जाने वाले नोखा विधायक और संसदीय सचिव कन्हैयालाल झंवर; पूर्व सांसद, वर्तमान जिला प्रमुख और कांग्रेस के ठसकाई जाट नेता रामेश्वर डूडी; चिकित्सक के पेशे को किनारे कर राजनीति में आए खाजूवाला विधायक डॉ विश्वनाथ; जिले के ही श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सत्ताधारी पार्टी विधायक मंगलाराम गोदारा और बीकानेर पूर्व (पीबीएम अस्पताल इसी क्षेत्र में आता है) की विधायक और अपने मतदाताओं केबाईसासम्बोधन का सुख भोगने वाली सिद्धीकुमारी।
उक्त भारी-भरकम फेहरिस्त के बोझ तले दबा बीकानेर जिला और जिले का सबसे बड़ा पीबीएम अस्पताल। (माना तो यह सम्भाग का सबसे बड़ा जाता है पर चूरू, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले विभिन्न कारणों से इसे कोई खास भाव नहीं देते, सो बात इस सम्भागीय दर्जे से मुक्त होकर करना सुविधाजनक रहेगा) यह अस्पताल वैसे तो पिछले पचीस-तीस सालों से उक्त सभी (इन सभी में से मंगलाराम गोदारा, कन्हैयालाल झंवर, डॉ विश्वनाथ और सिद्धीकुमारी को फिलहाल थोड़ी छूट देना बात को वजनी करेगा) की सरपरस्ती में लगातार बद से बद्तर होता गया। जरूरत पड़ने पर या जब-जब इन्हें लगा कि इस पीबीएम की सेवाएं ली जा सकती हैं, ऐसे सभी मौकों पर इनके विशिष्ट इलाज की व्यवस्था यहां होती रही हैं। इनके कहे पर इनके मिलने वालों का भी विशेष ध्यान रखा जाता रहा है। डॉक्टर गाहे-बगाहें इनके डेरों पर हाजरी भी लगाते रहे हैं। इन सबके एवज में ये दिग्गज बद से बद्तर होते इस अस्पताल को नजरअंदाज करते रहे।
इन सभी दिग्गजों की हद तो अब यह मानी जा रही है कि अस्पताल में गतिरोध का शुक्रवार से आज छठा दिन है, लेकिन ये सभी दिग्गज अपने जिले और शहर की सबसे जरूरी सेवा के पूरी तरह पंगु हो जाने पर भी मौन साधे हुए हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि ये सभी दिग्गज राजनेता जलते हुए रोम के निश्चिंत नीरो होकर बंशी बजा रहे हैं। आज सभी वरिष्ठ डॉक्टर भी बिना अपने गिरेबां में झांके, हिप्पोक्रेटिक शपथ को खूंटी पर टांग कर और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को भाड़ में झोंक कर काम पर नहीं आएं। (यहां यह जरूरी सूचना उन पैसे वाले लोगों से साझा करना जरूरी है कि ये सभी डॉक्टर अपने घरों-ठियों पर फीस लेकर उपलब्ध हैं, हो सकता है आज के दिन आपको कुछ अतिरिक्त भुगतान करना पड़े)
हम तो यूं ही डॉक्टरों पर पिल पड़े, इन बेचारों का क्या दोष, इन्होंने उपरोक्त दिग्गजों और राज कोकीलरखा है, तभी ये सभी लम्बे-लम्बे समय से यहां बैठे हैं। दोष तो उक्तकीलेहुओं का है जिन्हें आप अपना वोट देकर ताकत इसलिए बख्शते हैं कि ये आप के लिए सभी सार्वजनिक सुविधाओं को उपलब्ध करवाएंगे और दुरुस्त रखेंगे पर हाल-फिलहाल तो उक्त सभी अपना धर्म निभाने में नाकारा साबित हुए हैं। पीबीएम अस्पताल की आज छठे दिन की इस दुर्दशा पर उक्त तथाकथित सभी जनप्रतिनिधियों में से किसी ने राई-रत्ती की सक्रियता भी दिखाई है तो कृपया मीडिया को बताएं ताकि जनता को बताया जा सके कि आपके जनप्रतिनिधि आपके लिए दुबले हो रहे हैं। उक्त सभी नेताओं की पीबीएम के मुद्दे पर चुप्पी ना केवल आश्चर्यजनक है बल्कि चिंता का कारण भी। चिंता का कारण इसलिए भी कि इन्हें  कौन-सा सांप सूंघ गया है। उक्त सभी राजनेता दो महीने बाद ही होने वाले चुनावों में अपनी सेवाओं का नवीनीकरण कराने आपके पास आने वाले हैं।
18 सितम्बर, 2013


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