Friday, February 27, 2015

रेल बजट : 'जांवती रा बाजा' और बीकानेर

कल आए रेल बजट को पूर्व रेल राज्य मंत्री कांग्रेस के अधीर रंजन ने 'होनी को अनहोनी कर दे, अनहोनी को होनी' जैसे फिल्मी गाने से परिभाषित करने की कोशिश की। लेकिन कल के रेल बजट को बीकानेरी अंदाज में 'जांवती रा बाजा' कहना ही ज्यादा उचित है।
रेल बजट पिछले कई वर्षों से 'झोड़ की झोपड़ी' में तबदील हो चुका है। तीस साल तक रही गठबंधन सरकारों के लिए मंत्रालय बांटना कम टेढ़ी खीर नहीं रहा। ऊपर से जो इस रेल मंत्रालय को कब्जाता वही अंधा बनकर अपने-अपने को ही रेवड़ी बांटता। इसी सब के बीच आम बजट से अलग रेल बजट पर प्रश्न उठने लगे है। कहा जाने लगा कि रेल से ज्यादा बजट वाले अब कई मंत्रालय हो चुके हैं, जब उन्हें आम बजट में शुमार किया जा सकता हैं तो रेल मंत्रालय को क्यों नहीं मोदी सरकार ने जिस तरह फ्रीज हो चुके कई कानूनों को हटाया वैसे ही इस रेल बजट को आम बजट में मर्ज करने का मानस बना लिया लगता है। कल के रेल बजट को देखकर यही लगता है कि अगले वर्ष का रेल बजट नहीं आयेगा। इसके प्रावधानों को आम बजट में ही शामिल कर लिया जायेगा। इसीलिए शुरू में कल के रेल बजट को 'जांवती रा बाजा' से सम्बोधित किया।
यदि सरकार की मंशा यही हो तो कल के बजट में कोई काण-कसर निकालना उचित नहीं और ही इस बात से खुश होने की जरूरत कि इस बार कोई किराया नहीं बढ़ाया गया। मोदी के काम करने का ढंग लुहार की तरह का है। सुनार की तरह हौले-हौले ठक-ठक करने में वे भरोसा नहीं करते। अपनी सरकार बनने के बाद उन्होंने समदृष्टि से सभी श्रेणियों का यात्री किराया साढ़े चौदह प्रतिशत बढ़ा दिया और माल भाड़ा छह प्रतिशत। माल भाड़े में रही कसर को कल के बजट में ब्याज सहित पूरा कर लिया। पिछले बजट में यात्री किराये जितना ही माल भाड़ा साढ़े चौदह प्रतिशत बढ़ा लेते तो भविष्य में माल भाड़ा डेढ़ प्रतिशत ज्यादा नहीं भुगतना होता क्योंकि माल भाड़े में कल बढ़ोतरी दस प्रतिशत और कर दी गई है।
खैर, जांवती रा बाजा री गूंज में बीकानेर सलट गया। बीकानेर वाले कल दिन के बारह बजे से पहले सीप मुद्रा में स्वाति नक्षत्र के इंतजार में बैठे रहे। एकबारगी संतोष इसी बात का हुआ कि कहीं कुछ बरसा नहीं तो अणेसा कैसा? लेकिन बजट की परतें खुली तो मालूम हुआ कि स्वाति नक्षत्र की बूंदें तो लपक ली गई हैं। बीकानेर को संतोष उन चार सौ स्टेशनों की सूची में आने का ही करना पड़ा जिन्हें वाइ-फाइ किया जायेगा। हमारे जनप्रतिनिधि संभवत: पिनक में रहने को ही अभिशप्त हैं। जोधपुर-फुलेरा रेल लाइन के दोहरीकरण सर्वे की घोषणा यह बताती है कि दूसरे बीकानेरियों को डाल की रखवाली में लगाकर पात-पात का भ्रमण कर आते हैं। हमारे सांसद अर्जुनराम मेघवाल पाग पहन कर लोकसभा में टीवी के कैमरे में भले ही दीखते रहें उनसे होना-जाना कुछ नहीं है। और कुछ नहीं तो उन्हें मेड़ता सिटी-पुष्कर रेल लाइन की दो साल पहले की घोषणा को ही क्रियान्वित करवा लेना था। मात्र चौसठ किमी रेल लाइन का यह टुकड़ा डल जाए तो सर्वाधिक लाभ बीकानेर को होगा। पंजाब और जम्मू से अजमेर-उदयपुर की दो-तीन गाडिय़ां बिना मांगे ही मिल जाती। लेकिन इसके लिए सांसद का अपने क्षेत्र से लगाव जरूरी होता है, जो कहीं दिखाई नहीं देता।
लालगढ़ क्षेत्र में रेलवे की लम्बी-चौड़ी जमीनें खुर्द-बुर्द हो रही हैं। सांसद क्यों नहीं कोशिश करते कि रेलमंत्री ने देश में जो चार इंस्टीट्यूट खोलने की घोषणा की है उनमें से एक पश्चिमी क्षेत्र के नाम पर यहां खुलवाया जाय। अलावा इसके सांसद को इसके लिए भी प्रयास करना चाहिए कि विद्युतीकरण को सूरतगढ़ से लालगढ़ वाया जैसलमेर शीघ्र पूरा करवाएं। इससे दूसरा फायदा यह होगा कि कोटगेट और सांखला फाटक से गुजरने वाली मालगाडिय़ां लगभग बन्द हो जायेंगी क्योंकि कोयला और जिप्सम ढुलाई प्राथमिकता से फिर विद्युत मार्ग पर ही होगी। अलावा इसके अब जब रेल बजट आना ही नहीं है तो रेलगाडिय़ां, गाडिय़ों का विस्तार, फेरे बढ़ाना आदि-आदि कार्य रेलवे की सामान्य प्रक्रिया में जाने हैं, इसलिए क्षेत्र के प्रतिनिधि को हमेशा ही सावचेत रहना होगा अन्यथा लावे दूसरे ही लूटते रहेंगे।

27 फरवरी, 2015

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