Monday, February 2, 2015

वाट्सएप पर एक संजिदा पोस्ट

वाट्सएप के पत्रकारीय पेशे से सम्बन्धित एक समूह में कल रात एक बेहद संजिदा पोस्ट पढऩे को मिली। पत्रकार मित्र हरीश बी. शर्मा की रात सवा ग्यारह बजे की इस पोस्ट में चश्मदीदी कही है। साउथ एक्सटेंशन पवनपुरी में रहने वाले खान दम्पती दुपहिया वाहन पर अम्बेडकर सर्किल से अपने घर की ओर लौट रहे थे। सर्किल से कुछ ही दूरी पर वे किसी मवेशी से टकरा गये। रोड लाइटों के अभाव में हुई इस दुर्घटना में पति-पत्नी दोनों चोटिल हुए। पत्नी तो कुछ दूरी पर घुप अंधेरे में जा गिरीं। हरीश सहित कुछ राहगीर मदद के लिए पहुंचे तो घायलावस्था में भी उन्होंने घर पहुंचना जरूरी समझा और इन राहगीरों के अस्पताल ले जाने के आग्रह को टाल दिया। असमर्थता के चलते घर भी उनके साथ जाने को बड़ी मुश्किल से तैयार हुए।
रात की ही एक पोस्ट प्रशिक्षु पत्रकार शैलेष शर्मा की भी थी। ग्यारह बजे की इस पोस्ट में नोखा रोड स्थित जैन कॉलेज के पास बाइक पर सवार दो व्यक्तियों की डम्पर से टक्कर की सूचना थी। एक की मौके पर ही मौत हो गई दूसरे के घायल होने पर अस्पताल ले जाया गया। संचार के स्मार्टफोन जैसे तत्स्थल साधनों और वाट्सएप जैसे त्वरित एप्स के जरीये ये सूचनाएं तत्काल हासिल हो गईं। हालांकि, इस दूसरी सूचना में होना यह चाहिए था कि ऐसे फोटोग्राफ जो जुगुप्सा देते हों उन्हें बिना मांगे संचारित किया जाए। सुविधा हो तो फोटो लेने जरूर चाहिए क्योंकि इनकी प्रकारान्तर से जरूरत हो सकती है।
पहली सूचना चूंकि मात्र संवेदनशीलता दरशाती है इसलिए वह सार्वजनिक तौर पर खबरों का हिस्सा नहीं बनी। दूसरी घटना को आज शहर की मुख्य खबरों में शुमार किया गया, जबकि यह दूसरी घटना मात्र सूचनात्मक है जबकि पहली घटना केवल प्रेरणादायी है बल्कि चाहें तो उससे सबक भी ले सकते हैं। हरीश ने बताया कि इस कम चौड़ाई वाले मार्ग पर अनधिकृत तौर पर कचरा डालने का स्थान बनाया हुआ है और चूंकि ज्यादा कचरा खान-पान से सम्बन्धित होता है इसलिए आवारा पशु वहां हर समय विचरण करते रहते हैं। प्रशासन को चाहिए कि इस तरह की करतूतों को प्रतिबन्धित करें। हरीश ने एक बात की तरफ और ध्यान दिलाया कि यहां रोड लाइटें बन्द थीं। बन्द रोड लाइटों की खबरें आए दिन प्रकाशित-प्रसारित होने के बावजूद स्थिति ढाक के तीन पात सी है। जबकि इनका रखरखाव अब तो ठेका प्रणाली से हो रहा है।
मेडिकल कॉलेज रोड, मेडिकल सर्किल से शनिश्चर मन्दिर और पॉलिटेक्निक कॉलेज की ओर जाने वाली सड़कें, डूंगर कॉलेज और पॉलिटेक्निक कॉलेज के इर्द-गिर्द की सड़कें अकसर अंधेरे में डूबी रहती हैं। यह क्षेत्र ऐसा है जहां शहर के सर्वाधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं। इनमें तड़के शुरू होने वाली कक्षाएं देर शाम अंधेरा होने तक चलती हैं। कक्षाओं में किशोर और तरुणवय के छात्र-छात्राएं, दोनों ही अध्ययन करते हैं। अल सबेरे और देर शाम तक छात्राओं को भी इन्हीं रास्तों से होकर गुजरना होता है। ऐसे में कुछ मनचलों को ये अन्धेरा दुष्प्रेरित किए बिना नहीं रहता। जिम्मेदारों को इस बाबत लगातार अवगत करवाया जाता है। लेकिन, बावजूद इसके उपरोक्त सभी सड़कें पूरी तरह कभी रोशन नहीं रहतीं। लगता है ठेकेदार सक्रिय है और ही सम्बन्धित अधिकारी सजग। ये सभी सड़कें ऐसी हैं जहां या तो एक तरफ ही रिहाइश है या दोनों तरफ ही रिहाइश नहीं है। ऐसे में रोड लाइटों की दुरुस्तगी ज्यादा जरूरी हो जाती है।
आवारा पशुओं और उनके लिए खाद्य सामग्री के लालच की सुलभता अपने-आप में बड़ी समस्या है ही। ऐसे में जयनारायण व्यास कॉलोनी के सैक्टर तीन में अपनाए गए मोहरसिंह यादव मॉडल को भी शहर में लागू करने और प्रोत्साहित करने की जरूरत है। प्रशासन भी इसमें अपनी महती भूमिका निभा सकता है। वाट्सएप पर ऐसी संजिदा पोस्टें पढऩे देखने को मिले तो हो सकता है कुछ सकारात्मक परिणाम निकले।

2 फरवरी, 2015

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