Thursday, August 21, 2014

प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शासन चलाने के अपने गुजरात मॉडल को देश की सरकार पर आजमाना शुरू कर दिया है। बिना यह समझे कि हेकड़ी से एक प्रांत की सरकार तो चल सकती है क्योंकि प्रान्त सुप्रीमो के निर्णयों से सामान्यत: उस प्रान्त के अलावा अन्य कोई प्रभावित कम ही होता। देश के निर्णय सुप्रीमो बन कर लेंगे तो नौबत आपातकाल-सी आने में देर नहीं लगेगी।
प्रधानमंत्री बनते ही नरेन्द्र मोदी ने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का निर्णय दे दिया। इस बांध की ऊंचाई बढ़ाने का विरोध केवल पर्यावरण की बात करने वाले कर रहे थे बल्कि मध्यप्रदेश की प्रान्तीय सरकार को भी इसे लेकर घोर आपत्ति थी। उच्चतम न्यायालय का फैसला भी इसके प्रतिकूल था। मध्यप्रदेश में संप्रग सरकार के समय भी भाजपा की सरकार थी और आज जब केन्द्र में मोदी सरकार है तब भी मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार है, मोदी के इस निर्णय का एकबारगी शिवराजसिंह ने विरोध भी किया लेकिन पता नहीं उसके बाद उनकी घिग्घी कैसे बंध गई। देखा जाय तो भाजपा का यह अंदरूनी मामला नहीं है। पर्यावरण को यदि नजरअन्दाज भी कर दें तो मामला एक प्रान्त के प्रभावितों का है। सप्रंग सरकार ने दस वर्ष तक बांध की इस ऊंचाई को ही नहीं रोके रखा, इसके अलावा भी और कई मसले ऐसे थे जिन पर निर्णय का दुस्साहस उसने नहीं किया। इनमें कई उद्योगों और योजनाओं की ऐसी फाइलें पर्यावरण मंत्रालय के विचाराधीन थी, जिनको मंजूरी देने पर पारिस्थितिकी संतुलन का बिगडऩा तय है। मोदी ने सरकार बनते ही एक सप्ताह में बिना कोई समीक्षा के इनमें से अधिकांश उद्योगों और योजनाओं को इजाजत 'बख्श' दी। जिन राजनाथसिंह ने मोदी पर दावं लगाया उन्हीं के मंत्रालय के अफसरों की नियुक्ति के महती काम को मोदी ने झटके में अपने अधीन कर लिया। पिछले सड़सठ वर्षों में इन्दिरा गांधी जैसी शासक ने आपातकाल तक में भी ऐसा नहीं किया था। राजनाथसिंह ने चूं तक नहीं की।
मंत्रियों और सांसदों की क्लास लगाना, उनको सीमाएं बताना और उन्हीं में रहने की हिदायतें और विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों से सीधा संवाद देखने-सुनने में तो अच्छे लग सकते हैं लेकिन समझने की कोशिश करेंगे तो यह कार्यशैली लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रतिकूल ही ठहरेगी।
अभी दो दिन पहले ही कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश भेज कर सूचित किया है कि लोकपाल, केन्द्रीय सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक मामलों पर प्रधानमंत्री का कहा ही अंतिम होगा।
उच्च और उच्चतम न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के लिए बनी कॉलेजियम व्यवस्था को विधेयक के माध्यम से समाप्त कर दिया जिससे भारत के मुख्य न्यायाधीश असहमत थे। प्रसिद्ध न्यायविद् फली नरीमन ने तो इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती ही दे दी है।
भारत के वे पड़ोसी देश जिनकी जमीनी सीमाएं भारत से लगती हैं उनमें चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार चारों के साथ ही कुछ कुछ खटपट रहती ही है। इनमें चीन के साथ सीमा विवाद इसलिए है चूंकि हिमालय के बीहड़ की लगभग बीस किलोमीटर की पट्टी पर दोनों ही देश दावा जताते रहे हैं, इस पर कोई फैसला इसलिए नहीं हो पाता कि फैसला होने पर दोनों ही देशों की अपने-अपने देश के नक्शों में बनाई गई सीमारेखा इधर-उधर होगी और इस अलोकप्रिय निर्णय को कर पाने की कीमत हमारा देश कितनी भुगत और चुका रहा है, जानना भयावह होगा। ऐसा मसला पाकिस्तान के साथ भी है। जम्मू-कश्मीर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) के अलावा पूरी सीमा पर तारबन्दी है। वहां समस्या लगभग नहीं के बराबर है। कश्मीर ऐसा मसला है जिसके बिना पर पाकिस्तान अपने आम-आवाम को बरगलाता रहता है तो वहां की सेना सरकार को आंख दिखाती रहती है। कश्मीर की असलियत पाकिस्तान अपनी जनता से बयां करता है और ही भारत।
चीन और पाकिस्तान, दोनों के साथ यह मुद्दे ऐसे हैं जो अपनी-अपनी जनता की आकांक्षाओं के गुब्बारों में दोनों देशों की सरकारें गैस तो भरती रही हैं पर ये गुब्बारे अब इतने ऊंचे हो लिए हैं कि दोनों ही देशों की सरकारों से संभले नहीं संभल रहे।
कहते हैं पाकिस्तान से वार्ता नहीं करने का परसों का निर्णय मोदी का अपना है और उन्होंने इसे विदेश मंत्रालय को ओवरटेक करके लिया है। मोदी इसे कैसे नजरअन्दाज कर सकते हैं कि दो देशों के बीच विवादों का निबटारा या तो बातचीत से ही संभव है या फिर युद्ध से। 
मोदीजी! हेकड़ी से गुजरात का राज तो चल सकता है, देश का नहीं। वह भी भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का। यदि ऐसे ही चलते रहे तो हो सकता है देश को बाहरी और आंतरिक, दोनों आपातकालों को देखने की नौबत जल्दी ही सकती है। अपने देश के नागरिकों के लिए और पड़ोसी देशों के सन्दर्भ से जो ये मानते हैं कि 'लातों के भूत बातों से नहीं मानते', उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों को जान-समझ लेना चाहिए।

21 अगस्त, 2014

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