Monday, January 13, 2014

पीएम इन वेटिंग मोदी पर मंडराती आशंकाएं

चुनावी चहल-पहल पहले कभी लगभग चार महीने होती थी जो अब बारहमासी हो गई है। विधानसभा के फिर लोकसभा के कुछ दिन पर स्थानीय निकायों के, इतने में ही पंचायत चुनाव धमकते हैं। विधानसभा चुनावों की बिसात साल भर पहले बिछनी शुरू हो ही गयी थी। पांच राज्यों के हाल ही में सम्पन्न चुनावों के खत्म होते ना होते लोकसभा का चुनावी घमासान शुरू हो गया है। देश में देशव्यापी पार्टी पहले एक ही थी, क्षेत्रीय पार्टियों की ठीकठाक उपस्थिति बनी नहीं थी सो अधिकांशत: सबकुछ एकतरफा सा होकर सम्पन्न हो लेता था। अब चुनौतियों चौतरफा हो जाने से सब तरह की ऊर्जाएं भी ज्यादा खर्च होने लगी हैं।
कांग्रेस सम्भवत: अब तक के अपने सबसे चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रही है। मजमेबाज नरेन्द्र मोदी को आगे कर भाजपा अपनी स्थिति एकबारगी ठीक बनाती दीख रही थी लेकिनआम आदमी पार्टीभाजपा के लिए स्पीडब्रेकर बन कर आड़े गई है। भाजपा का मुख्य आधार शहरी और कस्बाई वोट हैं और ऐसे ही वोटों परआपपार्टी की पकड़ मजबूत होती लग रही है। पांच विधानसभा चुनाव और उसके बाद बना लोकसभा चुनावों का माहौल मोटा-मोट कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की छवि के खिलाफ है, इस खिलाफत की तीव्रता इतनी है कि लगभग वैसी ही भ्रष्ट छवि की भाजपा को स्वीकारने में भी लोगों को हर्ज नहीं लग रहा था। लेकिन, जैसे ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अपनी हैसियत दिखाई वैसे ही लोग उसके मुखातिब होने लगे।आपपार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बनते ही कार्यशैली में आम आवाम की उसके प्रति उम्मीदों को और पुख्ता किया है। ऐसे में भाजपा को पुरसी थाली खिसकती लगने लगी। वहीं कांग्रेस विधानसभाई पछाड़ से अभी उभरी नहीं लगती है। जब तक उभरेगी तब तक हो सकता है अपने को वह अखाड़े से बाहर पाये और अखाड़े मेंभाजपाके मुकाबलेआपको देखकर वह चमगूंग में चली जाए। रही सही कसरआपके विदूषक कुमार विश्वास कांग्रेस के सेमी-सुप्रीमो राहुल गांधी के चुनावी क्षेत्र में ताल ठोंक कर पूरी करने में जुट गये हैं, हो सकता है आम-आवाम में बैठा तमाशबीन प्रभावित भी होने लगे।
दूसरी ओर भाजपा की स्थिति भीआपीयआकर्षण के बाद दोलायमान होने लगी है, भाजपा के पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदीआपके केजरीवाल के बरअक्स गोवा के मुख्यमंत्री पर्रिकर को आगे ले आए हैं, मोदी की मंशा किआपके भय से पार्टी यदि उन्हें विजय गोयल की गत में पहुंचाएं तो उनसे छीना गया छींका शिवराजसिंह को भी मिले। शिवराज को मिलता है तो पार्टी में उनके धुर विरोधी लालकृष्ण आडवाणी मजबूत होंगे। आम आदमी पार्टी में लोगों का भरोसा जिस तरह से बढ़ रहा है उससे मोदी की ऐसी आशंकाओं का बढ़ना स्वाभाविक है क्योंकि मोदी यह भली-भांति जानते हैं कि उनकी मूर्ति का पेडेस्टल (स्तम्भ) उनके पुराने पापों के कारण खोखला है जो कभी भी दरक सकता है। संघ और भाजपा, दोनों ने दिल्ली विधानसभा चुनावों से ऐन पहले विजय गोयल को धकिया कर सीएम इन वेटिंग का उम्मीदवार पुराने पापों से लगभग मुक्त हर्षवर्द्धन को घोषित कर सत्ता-मोह की अपनी तीव्रता जाहिर कर ही चुके हैं। केजरीवाल पीएम ट्रेक में दौड़ने लगे तो संघ और भाजपा मोदी को पैविलियन में लेकर शिवराज या पर्रिकर को उतारने में संकोच नहीं करेंगे!

13 जनवरी, 2014

3 comments:

maitreyee said...

बहुत अच्छा

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

बहुत तर्कपूर्ण और संतुलित विश्लेषण!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

भारत चुनावी त्योहारों का देश है