Wednesday, January 14, 2015

अपना बोया काटना भी पड़ सकता है

आजादी बाद हम दुगुने से ज्यादा हो गये हैं। परिवार को नियोजित करने के अभियान विभिन्न नामों के फेरबदल के साथ पिछले पचास वर्ष से चल रहे हैं। बावजूद इस सब के आबादी काबू में नहीं रही। कुछ लोग इसके पक्ष में एक तर्क देते हैं कि आबादी बढऩे का एक बड़ा कारण आजादी बाद से भारतीयों की औसत आयु का बढ़कर दुगुने से ज्यादा हो जाना भी है। 1947 में  भारतीयों की औसत आयु बत्तीस वर्ष थी जो आज पैंसठ है, यानी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई हैं। लेकिन लोक में प्रचलित वह जुमला फेल होता लगता है जिसमें कहा गया है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। यदि ऐसा होता तो परिवार को नियोजित करने के अभियानों की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए। लग रहा है कि हम शरीर के साथ-साथ मन से स्वस्थ नहीं हो रहे।
अभी जब भाजपा नेताओं की ओर से ज्यादा बच्चे पैदा करने के आह्वान आने लगे तो कोई चालीस वर्ष पुराना एक वाकिआ याद गया। महात्मा गांधी रोड पर तब नये-नये खुले आइसक्रीम पार्लर में एक युवा विदेशी जोड़े के साथ स्थानीय सज्जन आये और कुछ ठण्डा लेने की मंशा से बैठ गये। वे स्थानीय सज्जन भारतीयों की कमियां बताते हुए जानकारियां दे रहे थे। विदेशी जोड़े ने पूछ लिया कि यहां आबादी लगातार क्यों बढ़ रही है। इस पर उन बीकानेरी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कारण बताया कि हम भारतीयों के पास मनोरंजन का कोई अन्य साधन तो है नहीं सो बच्चे पैदा करके ही मन का रंजन कर लेते हैं। पता नहीं तब के उस किशोरमन ने उन स्थानीय की बात को किस रूप में लिया होगा लेकिन अब यह जरूर समझ में आने लगा है कि अधिकांश लोगों के पास प्रश्नों के असल जवाब और समस्याओं के असल हल नहीं होते। इसलिए जिसे आपने सही मान लिया, उसे बिना कोई कसौटी चढ़ाए ठेल देते हैं।
आबादी को लेकर विदेशी जोड़े द्वारा पूछे गये प्रश्न का उक्त उत्तर देने का मकसद उन बीकानेरी का क्या रहा होगा नहीं जानते लेकिन उस जोड़े ने व्यंग्यात्मक हंसी के साथ जो चेहरा बनाया उससे यही लगा कि उन्होंने आम भारतीय को 'आड़ू _' ही माना। जबकि विभिन्न भारतीय समाजों में हमेशा से ही देश, काल, परिस्थिति यहां तक आर्थिक हैसियत के अनुसार भी अपने-अपने मनोरंजन के साधन और आयोजन रहे हैं।
भाजपा सांसद साक्षी महाराज, बंगाल भाजपा नेता श्यामल गोस्वामी और भाजपा की सहोदर इकाई विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ी साध्वी प्राची आदि प्रत्येक हिन्दू को चार-पांच बच्चे पैदा करने को क्यों कह रहे हैं, समझ से परे है। जबकि सरकारों की सभी योजनाएं और कार्यक्रम पूरे यौवन को हासिल इसीलिए नहीं हो पाते, क्योंकि लगातार बढ़ती आबादी एक बड़ी बाधा मानी गई है।
केन्द्र में भाजपा की सरकार है और कई प्रदेशों में भी सरकार इसी पार्टी ने बना ली है। भाजपा और उसके पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसके अनुषंगी संगठन जिन भावनाओं का पोषण करके आमजन को बरगलाते आये हैं। ऐसे बयान उसी के नतीजे हैं। मोदी कम से कम दस वर्ष प्रधानमंत्री बने रहने की मंशा बनाए हुए हैं-ऐसा तभी संभव है जब 2019 का संभावित लोकसभा चुनाव उनकी पार्टी पूर्ण बहुमत से फिर जीते। इसके लिए जनता को दिखाए सपनों में से कुछ को तो सच करना होगा क्योंकि जनता 1977 के बाद राज पलटना सीख गई है। हिन्दू चार-पांच बच्चे पैदा करें, लव जेहाद और हिन्दुओं की तुलना में मुसलमानों की बढ़ती आबादी जैसी गुमराह करने वाली रणनीति सरकार के लिए कुछ कर गुजरने में बाधक है ही-भ्रष्टाचार, कालाधन, महंगाई जैसे भूत भी इनके लिए वैसे ही बेकाबू हैं जैसे पिछली सरकारों के लिए थे। चीन और पाकिस्तान ने तो लगता है प्रधानमंत्री का सीना खुद ही नाप लिया। सोशल साइट्स पर मोदीनिष्ठों, संघियों और भाजपाइयों का उत्साह ठंडा हो गया है और पार्टी प्रवक्ता भी टीवी की बहसों में बगलें झांकने लगे हैं।
रोज-रोज की गपड़चौथ के चलते लग रहा है कि मोदी को संघ परिवार बोझ लगने लगा है। ऐसे में हो सकता है अपनी असफलता के कारणों में मोदी संघ परिवार की ऐसी करतूतों को भी गिना दें।

14 जनवरी, 2015

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