Tuesday, March 18, 2014

मोदी के बहाने भाजपा की पड़ताल

अखबारी-आदीयों के ये दो दिन त्योहार के बावजूद सूने-सूने रहे। कुछ पूर्ति सोशल नेटवर्किंग साइट्स करती हैं, पर स्थानीयता इनकी सीमाओं से फिलहाल बाहर होने के चलते यह अधूरापन अधूरे से कुछ ज्यादा ही खळता है।  नेटवर्किंग साइट्स पर प्रचलित फेंकू, पप्पू और पल्टू जैसी उपमाएं लगभग स्थाई स्थान बना चुकी हैं। इन दो दिनों मेंफेंकूज्यादा चर्चित विकिलीक्स के चलते रहा। भाजपा के पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी एक अरसे से विकिलीक्स से मिले एकसर्टिफिकेटकी चर्चा करके अपनी पीठ थपथपाते रहे हैं कि विकिलीक्स ने उस गोपनीय अमेरिकी संवाद को चौड़े किया जिसमें अधिकृत अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी अकेले भारतीय नेता हैं जिन्हें भ्रष्ट नहीं किया जा सकता। इस झूठ को जिसने भी घड़ा उसको दाद तो इसलिए दी जानी चाहिए कि उसके इस घड़िए की चपेट में खुद मोदी गये और इस घड़ित सर्टिफिकेट को मुकुट की तरह ललाट पर लगाए बैठे हैं। हाल ही में अति तब हुई जब कुछ अतिमोदियाइयों ने उक्त फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर इन साइट्स पर विकिलीक्स सुप्रीमो जुलियन असांज के फोटो और हस्ताक्षर लगा कर पोस्टर जारी कर दिए। विकीलीक्स ने इस पर तुरत प्रतिक्रिया दी कि हमने इस तरह का खुलासा कभी किया ही नहीं? यह पूरी तरह झूठ है।
विकिलीक्स के इस स्पष्टीकरण के बाद भाजपा की ओर से यह अधिकृत बयान आया कि मोदी को किसी अमेरिकी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। जब ऐसा ही था तो मोदी इसका उल्लेख अपने भाषणों और अनौपचारिक बातचीत में क्यों करते रहे और क्यों इस तथाकथित सर्टिफिकेट का उल्लेख अपनी अधिकृत वेबसाइट पर उन्होंने कर रखा था, जिसे विकिलीक्स के खंडन के बाद हटा दिया गया है। दरअसल भ्रष्टाचार, वंशवाद आपराधिक छवि के नेता जैसी असलियतों पर भाजपा और आम आदमी पार्टी कांग्रेस को घेरती आयी हैं, पर इनसे पूरी तरह मुक्त व्यावहारिक राजनीति करने वाला कोई दल नहीं है। मात्रा का कम ज्यादा होना तो दुस्साहस और अवसरों पर निर्भर करता है। भाजपा जिस तरह इन करतूतों में कांग्रेस से होड़ कर रही है उससे तो लगता है कि कांग्रेस जितने अवसर भाजपा को मिलते तो वह कांग्रेस से इक्कीस ही रहती। इस माहौल में कांग्रेस के सहमने का एक बड़ा कारण लोक में प्रचलित इस कैबत से समझा जा सकता है-बीन्द रै मुंह में लाळ्यां पड़े तो जानी बापड़ा काईं करे (दूल्हे के मुंह से लार टपक रही हो तो बेचारे बराती क्या करें)? वंशवाद से ग्रसित कांग्रेस को राहुल जैसानाबालिगनेता मिला है अन्यथा कांग्रेस के पास ऐसे धुरन्धर घाघ हैं जो एकजुट होकर धार लें तो विरोधी बगलें झांकनें लगें!
भाजपा में वंशवाद विकेन्द्रीकृत संस्थागत रूप में है। वहां वंशवाद उनकी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक से दीक्षितों के दीक्षितवाद के रूप में प्रचलित है तो अदीक्षित नेता कांग्रेस की पैरोडी के रूप में इसे सीधे वंशवाद के रूप में अपनाते हैं। लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा द्वारा अब तक घोषित उम्मीदवारों में सत्ताइस नेता पुत्र और छह नेता पत्नियां हैं। कांग्रेस की सूची खंगालेंगे तो ऐसा नजारा वहां भी देख सकते हैं। भाजपा में भ्रष्टों की फेहरिस्त भी कम लंबी नहीं। येदियुरप्पा से लेकर श्रीरामुलु ऐसे नाम हैं जो किसी भी भ्रष्ट कांग्रेसी से उन्नीस नहीं पड़ते। अभी तो बेल्लारी से भाजपा उम्मीदवार की घोषणा होने दें अगर रेड्डी बन्धु ही आते हैं तो संप्रग के पूरे कार्यकाल के भ्रष्टाचार से ये भाजपाई उम्मीदवार इक्कीस पड़ेंगे। भाजपा का सप्रमाण उल्लेख इसलिए जरूरी है कि वह भ्रष्टाचार और वंशवाद के आरोपों से कांग्रेस को घेरती है और कांग्रेस घिरती जा रही है।
संस्कृति और संस्कार की बात करने वाली भाजपा अपनी पार्टी के बाबाओं (उम्र में वरिष्ठों को हमारे यहां बाबा कहा जाता है) में से अब तक जारी उम्मीदवारों के सूची में मुरलीमनोहर जोशी, कलराज मिश्र और लालजी टंडन जैसे वरिष्ठों को ठिकाने लगा चुकी है। इन तीनों ही शख्सीयतों के मामले में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ ने अपना चुकारा किया है क्योंकि ये तीनों ही उत्तरप्रदेश में राजनाथ की सक्रियता के समय से हीबाबागिरीलगाते रहे हैं। वहीं बाबाओं के बाबा लालकृष्ण आडवाणी संघ के ब्रह्मास्त्र प्रयोग के बावजूद ताबे नहीं रहे हैं। सो लगता है उनकी जिद का एक पार्ट पूरा करके पार्टी उन्हें उम्मीदवार तो गांधीनगर से बना देगी। दूसरे पार्ट में हो सकता है मोदी अपने कारिन्दों के माध्यम से छियासी पार की इस उम्र में उनकी मिट्टी खराब करवा दें। अच्छा वही है जो राजनीति करवाए।

18 मार्च, 2014

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