Thursday, August 5, 2021

बीकानेर शहर की समस्याएं : हम कब तक अंगूठा चूसते रहेंगे

स्वायत्त शासन मंत्री शान्ति धारीवाल प्रशासन शहरों के संग कार्यशाला के बहाने बीते शनिवार को बीकानेर में थे। अकेले मंत्रीजी ही नहीं, उनका पूरा सचिवालय शुक्रवार शाम बीकानेर पहुंच गया था। मंत्रीजी होटल लक्ष्मी निवास पैलेस में ठहरे, जबकि उनके मुख्यमंत्री सर्किट हाउस में ही ठहरते हैं। लाखों रुपयों की इस खर्चीली यात्रा से शहर को क्या हासिल होगा, फिलहाल दावा छोड़ अनुमान भी नहीं लगा सकते। इस तरह के औपचारिक आयोजनों को मीडिया अच्छी-खासी सुर्खियां चाहे दे, इनके शून्य परिणामों का मीडिया कभी जिक्र नहीं करता।

खैर! ऐसी रातों के झांझरके ऐसे ही होते हैं। शहर की दो बड़ी समस्याएं—कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या और दूसरी सफेद हाथी सूरसागर की—दोनों का मौका मुआयना मंत्रीजी ने किया है। सूरसागर को सफेद हाथी इसलिए लिखा कि जबसे इसे साफ किया गया है, तब से इसे एक बार भी एक चौथाई नहीं भरा जा सका है। अनेक ट्यूबवेलों और नहरी पानी की आमद के बावजूद यही स्थिति है। सफाई के बाद बीते 13 वर्षों में इसकी मरम्मत और रखरखाव पर ही करोड़ों खर्च किये जा चुके हैं।

बरसाती और गन्दे पानी की आवक पर इसके लिए अलग से सीवरेज लाइन डालने और फिल्टर प्लांट लगाने का तख्मीना बनाने का आदेश तो धारीवालजी दे गये हैं, लेकिन इसे भरा कैसे रखा जायेगा, इस पर बात नहीं की गई। रियासत काल में सूरसागर जिस आगोर से भर जाता था, वह अब अधिकतर तो छावनी क्षेत्र में आ गई तो कुछ बसावट की भेंट चढ़ गई है। जब कृत्रिम साधनों के पानी से पार नहीं पडऩी तो इसे वर्तमान रूप में बनाये रखना सफेद हाथी पालने जैसा ही है।
यह बात पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समझ आ गयी थी। जून, 2014 में 'सरकार आपके द्वार' के तहत वे जब बीकानेर आयीं तो उन्होंने कुछ पत्रकारों को गजनेर पैलेस में बातचीत के लिए बुलाया था। तब मैंने सूरसागर से संबंधित उपरोक्त बात की थी तो राजे ने पूछा विकल्प क्या हो सकता है? मैंने सुझाया इसे इसी गहराई में डेजर्ट पार्क के तौर पर विकसित किया जा सकता है। जिसमें थार मरुस्थल के पेड़-पौधे लगाये और ऐसे जीव-जन्तुओं को रखा जा सकता है जिन पर वन विभाग को एतराज न हो। सूरसागर के सामने जूनागढ़ किला है जहां रोजाना हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। उनके लिए डेजर्ट पार्क के तौर पर आकर्षण का एक और केन्द्र हो जायेगा। राजे ने इस पर सहमति जतायी और जाते हुए इसकी घोषणा भी की—लेकिन जयपुर पहुंच कर इसका फोलोअप वे भूल गयीं।

उसी मुलाकात में राजे से जो अन्य बात हुई उसमें कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या के एकमात्र व्यावहारिक समाधान एलिवेटेड रोड पर भी मेरी बात हुई थी, राजे यह घोषणा करके गयीं कि आरयूआईडीपी द्वारा बनाई गयी योजनानुसार मार्च, 2015 तक इसका शिलान्यास करने वे खुद आएंगी। लेकिन हुआ यह कि बीकानेर पश्चिम के विधायक और अब दिवंगत गोपाल जोशी को उस पर इसलिए एतराज था कि एलिवेटेड रोड उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठान के ठीक सामने उतर रही थी। इस कारण यह योजना भी ठण्डे बस्ते में चली गयी।
सूरसागर का तो जो होगा वह होगा, उससे अब किसी को सीधे परेशानी नहीं है। लेकिन कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या से शहर के लाखों बाशिन्दे परेशान हैं और शहर नुमाइंदे इस पर गंभीर नहीं हैं। बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धिकुमारी को चुनाव जीतने के अलावा कोई लेना-देना शहर की समस्याओं का कभी रहा ही नहीं तो उनसे उम्मीद क्या करें। लेकिन बीकानेर पश्चिम विधायक डॉ. बी डी कल्ला जब-तब शहर हित के दावे करते रहते हैं तो उम्मीद उन्हीं से रख सकते हैं। कल्ला अब तक इस समस्या के समाधान के तौर पर बायपास की जिद्द पकड़े बैठे हैं, और शायद समझना चाहते भी नहीं हैं। एलिवेटेड रोड जैसे व्यावहारिक समाधान को नजरअंदाज कर दूसरे-दूसरे समाधानों पर समय जाया कर रहे हैं। बीते एक वर्ष से उन्होंने नगर विकास न्यास को आरयूबी (रेल अण्डरब्रिज) योजना पर लगा रखा है। योजना जैसी-तैसी बनी भी, लेकिन अपनी हाल ही की इस यात्रा में धारीवाल उसे अव्यावहारिक बता खारिज कर गये हैं। धारीवाल को इससे ज्यादा मतलब भी नहीं है। कल्ला के पास अब दो वर्ष भी नहीं बचे हैं। वे चाहें तो 6 फरवरी, 2020 को इस समस्या पर उन्हें लिखे मेरे उस पत्र को पढ़ सकते हैं जिसमें इसके समाधान से संबंधित सभी विकल्पों का विस्तार से उल्लेख है। वे चाहेंगे तो उस पत्र की प्रति मैं पुन: उपलब्ध करवा सकता हूं। शहर की जनता इस समस्या से बीते चार दशकों से भी ज्यादा समय से त्रस्त है।

यातायात संबंधी ऐसी ही समस्याओं के समाधान के लिए जोधपुर और अजमेर में एलिवेटेड रोड बीच बाजार में बन रहे हैं और हम हैं कि उस एक मात्र व्यावहारिक समाधान से बिदकते रहते हैं। हमारे नुमाइंदों की सकारात्मक सोच होती तो 2006-07 में जब यह योजना बनी तभी काम शुरू हो जाता तो 2009-10 तक शहरवासी सुकून से आवागमन करते। लगता तो नहीं है कल्ला इस पर तत्पर होंगे लेकिन मेरा धर्म अवगत करवाते रहना है, सो बार-बार करवाता रहा हूं ओर आगे भी करवाता रहूंगा।
―दीपचन्द सांखला
5 अगस्त, 2021

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