Wednesday, September 5, 2018

राजस्थान गौरव यात्रा : कैसे करें गर्व/ एलिवेटेड रोड और सूरसागर/ रानी ने कहा रात है...यह सुबह-सुबह की बात है


राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 6 सितम्बर को बीकानेर जिले में होंगी। अवसर होगा प्रदेशभर में चुनाव पूर्व की राजस्थान गौरव यात्रा का। यूं तो प्रत्येक देश-प्रदेश और क्षेत्र विशेष के गर्व करने के अपने-अपने गौरव होते हैं-राजस्थान के भी होंगे। लेकिन उपेक्षित बीकानेर किस पर गर्व करे, ना तो पिछले कांग्रेस राज में बीकानेर के लिए कुछ हुआ, ना ही जिले की 7 में से 4+1 सीटें जीती भाजपा सरकार ने कुछ किया है। देखा जाए तो बीकानेर अपने को ठगा महसूस  ही कर रहा है।
कहने को हवाई यात्रा की सौगात सरकार गिना सकती है। गिनाएगी तो यह आक्षेप लगे बिना नहीं रहेगा कि ये सेवा तो समर्थों के लिए है, जिले की कुल आबादी का हजारवां हिस्सा भी इससे लाभान्वित होने का सामथ्र्य नहीं रखता है। इस राज की ले-देके दूसरी उपलब्धि तकनीकी विश्वविद्यालय की ये गिनवाते हैं लेकिन यह उपलब्धि भी लूली-लंगड़ी। कांगेस की सरकार ने जाते-जाते तकनीकी विश्वविद्यालय की आधी-अधूरी घोषणा की, उसे अमलीजामा वसुंधरा सरकार को पहनाना था, बजाय पहनाने के-जितना पिछली सरकार पहना गई थी, एकबारगी तो उसे ही उतरवा लिया। अब चुनावी वर्ष में वसुंधरा सरकार को लगा होगा कि गौरव यात्रा में बीकानेर जाएंगे तो गर्व करने को कुछ तो हो, सो आनन-फानन में जामे को ढूंढ़ा और पहनाना शुरू कर दिया। लेकिन इस राज पर फिजूलखर्ची की जैसी छाप 'पठान पैसा खाने की है।Ó उससे ये योजना भी कैसे बचती। इंजीनियरिंग कॉलेज, बीकानेर के परिसर में लम्बी-चौड़ी बिल्डिंगें खड़ी हैं लेकिन तकनीकी विश्वविद्यालय के लिए जोड़-बीड़ में जगह आवंटित की गई है। बीकानेरी भाषा में कहें तो ईसीबी कैम्पस में बन्द होने के कगार पर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी के टंडीरे को क्या खण्डहर होने के लिए छोड़ दिया जायेगा। क्यों नहीं उसी कैम्पस को विश्वविद्यालय के तौर पर विकसित किया जाए। इन वर्षों में जब सरकारें वैसे भी सरकारी संस्थानों को खत्म करने पर तुली हैं, तब योजनाएं इस तरह बननी चाहिए कि जो हैं उन्हें सहेज कर रखा जाए।
'पठान पैसा खाता है' का दूसरा अचूक उदाहरण सूरसागर है-सूरसागर की बात पर गोरख पांडे की एक कविता को साझा करने का मन कर रहा है।
राजा बोला रात है
रानी बोली रात है
मंत्री बोला रात है
संत्री बोला रात है
यह सुबह-सुबह की बात है।
वसुंधरा राजे ने 2008 में शहर को सूरसागर की सड़ांध से मुक्ति दिलवाई-उल्लेखनीय है। 2009 के चुनावों में जिलेभर की जनता ने भी भाजपा को हवा के विपरीत सीटें दीं। लेकिन बाद इसके यह सूरसागर सफेद हाथी ही सिद्ध हो रहा है। इन दस वर्षों में इस पर करोड़ों रुपये लगातार खर्च हो रहे हैं-भू-जल के मामले में डार्कजोन के मुहाने पर खड़े इस क्षेत्र के नलकूपों और नहरी पानी से भरकर उड़ाया जा रहा है-सभी प्रयासों के बावजूद तीस फीट गहरे सूरसागर को इन दस वर्षों में कभी चार-फीट भी भरा नहीं जा सका-कभी नावों पर पैसा बर्बाद किया जाता है तो कभी फव्वारों पर। बरसात में शहर का पानी आ धमकता है, वह अलग। इस पर इतना पैसा लगाने की बजाय तो शहर के बरसाती पानी को डाइवर्ट करने की पुख्ता व्यवस्था की जाती तो ज्यादा उपयोगी होता।
वसुंधराजी!
2014 के जून में 'सरकार आपके द्वार' अभियान के दौरान गजनेर पैलेस में पत्रकारों के साथ अपनी बातचीत का स्मरण करें-अन्य मसलों के अलावा सूरसागर सहेजे रखना भी एक मुद्दा था। सूरसागर को डेजर्ट पार्क के तौर पर विकसित करने के सुझाव पर आपने उत्साहित होकर सहमति जताई बल्कि जाते-जाते डेजर्ट पार्क की आपने घोषणा भी कर दी थी। लेकिन गवर्नमेंटल कम्यूनिकेशन गेप के चलते सूरसागर के पानी की तरह डेजर्ट पार्क की घोषणा भी हवा में उड़ गई। अब भी समय हैअपने मंत्री, न्यास अध्यक्ष महावीर रांका और संत्री जिला कलक्टर को निर्देशित कर सूरसागर के नाम पर जल और धन दोनों की बर्बादी रोककर इसमें डेजर्ट पार्क को विकसित करवाएं। काम तत्काल शुरू होगा तो देर-सबेर सिरे भी चढ़ जाएगा।
रही बात एलिवेटेड रोड की तो आपकी प्राथमिकता में यह काम होता तो इसे प्रशासनिक और तकनीकी महकमों में आप उलझने नहीं देती। 2014-15 में ही इसका शिलान्यास कर शुरू करवा देतीं तो अब तक वह पूर्ण होने को होता। शहर की जनता ना केवल बड़ी राहत महसूस करती बल्कि अगले चुनावों में कम से कम बीकानेर शहर की दोनों सीटें तो आपकी पार्टी को दे ही देती। अब कुछ होता जाता लगता नहीं है-जो योजना बनी है उसमें दो बड़ी खामियां हैं। पहली, एलिवेटेड रोड की चौड़ाई बढ़ाने की जरूरत नहीं थी जिसके चलते प्रभावित व्यापारियों में रोष है और दूसरी इसका राजीव मार्ग का सिरा योजना से हटा देने से शहर के भीतरी लोग इससे लाभान्वित होने में बाधा महसूस करेंगे। इन दोनों खामियों को आसानी से दूर किया जा सकता है। लेकिन धणी-का धणी कौन? धणी ने कह दिया कि रात है तो मंत्री-संत्री भी रात कहने लगे, भले ही वह बात सुबह-सुबह की ही क्यों ना हो।
बाकी तो आप खुद देखें कि 2013 की सुराज संकल्प यात्रा के दौरान जब आप बीकानेर आयीं और इस क्षेत्र से जो-जो वादे किए उनमें से किसी एक को भी आपने पूरा किया क्या? हमारे ध्यान में तो नहीं आ रहा।
उपरोक्त उल्लेखित तीनों वादों के अलावा शहर में सीवर लाइन का नया फेज, केन्द्रीय विश्वविद्यालय और कपिल सरोवर के पुराने वैभव को लौटाने जैसे वादे हाल तक अधर-झूल में हैं। आपके इस इकतरफा गौरव को हम बीकानेरवासी कैसे भी साझा करने की मन:स्थिति में नहीं हैं।
दीपचन्द सांखला
6 सितम्बर, 2018

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