सूबे की मुखिया वसुन्धरा राजे 27 जुलाई को बीकानेर में होंगी। बाद इसके 'गौरव यात्रा' के लिए अगस्त में उन्हें फिर बीकानेर आना है।
राजस्थान की सभी शासन व्यवस्थाओं में बीकानेर को हाशिए पर रखा गया है, हाल के वर्षों की बात करें तो अशोक गहलोत के
नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकारों ने जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर जैसे शहरों पर खूब मेहरबानी दिखाई,
बीकानेर उनके लिए शायद अंत्योदय की श्रेणी में
नहीं था। बात वसुन्धरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकारों की करें और 2008 की बात छोड़ दें जब राज्य स्तरीय स्वतंत्रता
समारोह बीकानेर में मनाया गया और उस बहाने ना केवल सूरसागर की सफाई हुई बल्कि जिन
रास्तों से वसुन्धरा का गुजरना था और जहां पड़ाव डालना था, वहां रात-दिन एककर काम करवाए गये। शेष शहर का हिस्सा तो तब
इनके लिए भी हाशिए वाली ही बात थी।
2013 के चुनावों से पूर्व सुराज संकल्प यात्रा के बीकानेर पड़ाव
पर वसुन्धरा राजे ने जो चुनावी वादे किए, वे सभी आज भी जुमलों की गति को हासिल हैं। हालांकि जून, 2014 में 'सरकार आपके द्वार' अभियान के
अन्तर्गत वसुंधरा राजे जब लगभग पखवाड़ा बीकानेर रहीं तो लगा कि कुछ होगा। लेकिन 'ढाक के पात वही तीन'।
2008 में कांग्रेस की जाती हुई सरकार ने बिना मन से तकनीकी
विश्वविद्यालय की घोषणा जरूर की लेकिन उसकी वैधानिक औपचारिकताएं अशोक गहलोत सरकार
ने पूरी नहीं की, नतीजा यह हुआ कि
बीकानेर को दिया गया तकनीकी विश्वविद्यालय वसुंधरा राजे की सरकार में 4 वर्ष तक लटकता रहा। चार वर्ष बाद मिले इस
तकनीकी विश्वविद्यालय को वसुंधरा दिया भले ही मान लो, वसुंधरा राजे के किए शेष सब वादे तो जुमले ही लग रहे हैं।
शीर्षक में उल्लेखित पांच वादों में से कोलायत के कपिल सरोवर में कमल बेलों की
देवीसिंह भाटी के प्रयासों से एक बार सफाई जरूर हुई लेकिन तालाब में पानी आने के
बाद कमल उसमें फिर पसरने लगा है।
2008 की अपनी सुराज संकल्प यात्रा के दौरान वसुन्धरा राजे ने जो
वादे किये थे, जून 2014 के अपने आलेख में 'सरकार आपके द्वार' अभियान के समय भी याद दिलाए, फिर जब दिसम्बर,
2016 में मुख्यमंत्री फिर
बीकानेर आयीं, तब भी एक आलेख के
माध्यम से दोहराया।
अब फिर राजे बीकानेर आ रही हैं और सुराज संकल्प यात्रा के दौरान किये वादों को
पांच वर्ष हो रहे हैं तो
8 दिसम्बर, 2016 के अपने आलेख के
अंशों को उसी शीर्षक से साझा करने की जरूरत लगी है, पाठक उसे ज्यों-का-त्यों पढ़ लें-समय व परिस्थितियों के
अनुसार इनमें कोई आंशिक बदलावों की जरूरत है, उनका उल्लेख हमने इसी शृंखला के आलेख में किया है। पाठक भी
तद्नुसार मान कर पढ़ें।
— बीच शहर से गुजरती रेललाइन और जिसके चलते
चौबीसों घंटे कष्ट भुगतते यहां के बाशिन्दे आज भी त्रस्त हैं। राजे ने इसके समाधान
का वादा न केवल 2013 की सुराज संकल्प
यात्रा में किया बल्कि 2014 में 'सरकार आपके द्वार' में भी उम्मीदें बढ़ाईं। इतना ही नहीं, बीकानेर में आयोजित पिछली मंत्रिमंडलीय बैठक
में यह तय ही हो गया कि कोटगेट और सांखला रेल फाटकों से उपजी यातायात समस्या के
समाधान के तौर पर वसुंधरा राजे के ही राज में 2006-07 में स्वीकृत एलिवेटेड रोड का निर्माण तुरन्त शुरू करवा
दिया जाएगा। इतना ही नहीं, इसके लिए धन भी
जब केन्द्र सरकार ने देना तय कर लिया, बावजूद इसके यह योजना....कहां धूड़ फांक रही है। पहले सुना कि सितम्बर,
2016 में राजे इसके शिलान्यास
के लिए बीकानेर आ रही हैं। वह बात तो जाने कहां आई-गई हो गयी। तकलीफ तो यह है कि
राजे की आगामी यात्रा में भी एलिवेटेड रोड के शिलान्यास की कोई सुगबुगाहट नहीं है।
— शहर के आधे से भी कम हिस्से में सीवर लाइन है
और जो है उनमें भी अधिकांश जर्जर हो चुकी है। पूरे शहर के लिए सीवर लाइन की इकजाही
योजना बनाकर काम करवाने की जरूरत है। यह वादा भी सुराज संकल्प यात्रा का ही है। इस
पर कभी कुछ आश्वासन सुनते हैं और फिर उन आश्वस्तियों का विलोपन हो जाता है। क्या
इस पर कोई ठोस घोषणा की उम्मीद आपकी आगामी यात्रा से रखें या इस ओर से भी निराशा
ओढ़ कर दुबक जाएं?
— बीकानेर का कृषि विश्वविद्यालय केन्द्रीय
विश्वविद्यालय होने की तकनीकी और भौगोलिक दोनों तरह की अर्हताएं पूरी करता है और
इसी बिना पर इसके स्वरूप को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की जरूरत
समझी जाती रही। इस हेतु बार-बार आश्वासन भी मिलते रहे। स्वयं राजे ने सुराज-संकल्प
यात्रा में इसके लिए वादा किया था। केन्द्र में भाजपा की सरकार को भी ढाई वर्ष हो
लिए हैं। विपक्ष की सरकार होती तो फिर भी एक राजनीतिक बहाना था। केन्द्र और राज्य
की जुगलबंदी के इस राज में ही बीकानेर को एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय राजे दिलवा
दें तो अपने वादे को ही वे पूरा करेंगी।
— भारतीय संस्कृति की धरोहर मानी जाने वाली कपिल
मुनि की तप-स्थली का सरोवर अपनी दुरवस्था को हासिल हो समाप्त होने को है। कमल की
एक नस्ल ने तो उसका स्वरूप बहुत कुछ नष्ट कर दिया है। राजे ने सुराज संकल्प में इस
तालाब की आगोर को संरक्षण देने की बात की थी। पता नहीं मुख्यमंत्रीजी को यह वादा
अब याद है कि नहीं।
—
सुराज संकल्प के
दौरान किए गए जो पांच वादे पूरे नहीं हुए उनमें से आखिरी सूरसागर को लेकर किए वादे
को कुछ संशोधन के साथ वसुंधराजी को याद दिलाना जरूरी है। 'सरकार आपके द्वार' के बीकानेरी पड़ाव के दौरान राजे ने गजनेर
पैलेस में बीकानेर से संबंधित सुझावों के लिए कुछ संपादकों-पत्रकारों को आमंत्रित
किया था। उस दौरान हुई अन्य बातों में सूरसागर को लेकर मेरे द्वारा दिए इस
प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री सहमत हुईं कि सूरसागर को कृत्रिम साधनों से भरे रखना बेहद
मुश्किल है और पिछले आठ वर्षों में नहरी और नलकूपों से इसे भरे रखने का प्रयास सफल
नहीं हुआ है। तब जो सुझाव दिया गया था वह यह कि सूरसागर के तले को मरुउद्यान
(डेजर्ट पार्क) के रूप में विकसित करने का था जिसमें थार रेगिस्तान के पेड़-पौधे
और अन्य स्थानीय वनस्पतियों के साथ इस क्षेत्र के उन जीव-जन्तुओं को भी रखा जाए
जिनकी इजाजत वन विभाग दे सकता है। उस समय मुख्यमंत्री इस सुझाव पर ना केवल
सकारात्मक हुईं बल्कि जाते-जाते जो उन्होंने घोषणाएं की उनमें डेजर्ट पार्क की
घोषणा भी थी। लेकिन लगता है इसमें गड़बड़ यह हुई कि मुख्यमंत्रीजी से अधिकारियों
तक पहुंचते-पहुंचते इस सुझाव में से इसका स्थान सूरसागर ही छिटक गया और केवल घोषणा
भर रह गई। वह घोषणा आज भी कहीं धूड़ फांक रही है। मुख्यमंत्रीजी! सूरसागर को यदि
मरुउद्यान के तौर पर विकसित कर प्रवेश शुल्क रखा जाए तो जूनागढ़ के सामने होने से
ना केवल इसे पर्यटक मिलेंगे बल्कि पानी भरने के खर्चे से बने इस सफेद हाथी से नगर विकास
न्यास को छुटकारा भी मिलेगा। डार्क जोन में जा रहे इस क्षेत्र में पानी की बर्बादी
रुकेगी, वह अलग।
अन्त में मुख्यमंत्रीजी से यही उम्मीद की जाती है कि सुराज संकल्प के उक्त
पांच वादों के पूरे होने का हक यहां के बाशिंदे रखते हैं और यह भी उम्मीद करते हैं
कि मुख्यमंत्री इस अवसर पर इन वादों को समयबद्ध सीमा में पूरा करने का आदेश देकर
अपने बीकानेरी मोह को अनावृत करेंगी।
—दीपचन्द सांखला
26 जुलाई, 2018
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