tag:blogger.com,1999:blog-2383090257195782576.post7525070230958776585..comments2023-08-14T00:32:01.286-07:00Comments on VINAYAK: राजस्थानी और उसकी अकादमी कुछ अपनी, कुछ सुनी-सुनाई—तीनDeep Chand Sankhlahttp://www.blogger.com/profile/07799831042666126909noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2383090257195782576.post-80442270018198052682013-08-13T07:43:45.081-07:002013-08-13T07:43:45.081-07:00आपने बहुत ही तथ्यपरक और निरपेक्ष विश्लेषण करते हुए...आपने बहुत ही तथ्यपरक और निरपेक्ष विश्लेषण करते हुए बहुत ही गंभीर मुद्दों पर बात की है। वस्तुस्थिति लगभग कमोबेश वही है जिनकी ओर आपने बहुत ही साफ़गोई से इशारा किया है। मुझे आपके ये तीनों आलेख अकादमी के ऎतिहासिक शिलालेख से लग रह हैं सच से ओतप्रोत। बधाई इस गहरी पड़ताल और उसे इस तरह प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए। आपने आईना दिखाने की कोशिश की है..देखते हैं कितने राजस्थानी हितेषी, विद्वान इस में अपना चेहरा देख पाने का साहस जुटा पाते हैं?navneet pandeyhttps://www.blogger.com/profile/11061600565663735868noreply@blogger.com